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    हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले के आरोपी से पूछा- घर में क्यों रखी 'वॉर एंड पीस'

    हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले के आरोपी से पूछा- घर में क्यों रखी 'वॉर एंड पीस'

    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 29, 2019
    10:46 am

    क्या है खबर?

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी वेरनॉन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर सुनवाई की।

    इस दौरान कोर्ट ने गोंजाल्विस से पूछा कि आपने अपने घर पर 'वॉर एंड पीस' किताब समेत आपत्तिजनक सामग्री क्यों रखी? इन किताबें और सीडी के नाम ही इनमें राष्ट्र विरोधी सामग्री होने की झलक देते हैं।

    पुणे पुलिस ने दावा किया कि यह किताब गोंजाल्विस के घर पर छापे के दौरान जब्त ''बेहद भड़काऊ साक्ष्यों में से एक है।

    सुनवाई

    सुनवाई के दौरान किताब को लेकर हुई बहस

    बुधवार को न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

    सुनवाई के दौरान रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय की लिखी किताब 'वॉर एंड पीस' बहस का विषय बन गई।

    जज ने कहा कि यह किताब दूसरे देश के युद्ध के बारे में है। कोर्ट ने पर गोंजाल्विस के घर से बरामद की गई मार्क्सवादी आर्काइव्स, कबीर कला मंच की 'राज्य दमन विरोधी' टाइटल वाली सीडी और 'वार एंड पीस' आदि का जिक्र किया।

    सुनवाई

    कोर्ट ने पूछी किताबें रखने की वजह

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सारंग कोटवाल ने कहा कि आपके पास से बरामद किताबों और सीडी से पहली नजर में लग रहा है कि आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हैं।

    पीठ ने सवालिया अंदाज में कहा, 'राज्य दमन विरोधी' सीडी का नाम ही दिखाता है कि इसमें राष्ट्र के खिलाफ कुछ है।

    कोर्ट ने गोंजाल्विस से कहा कि आपके पास ये किताबें और सीडी क्यों थीं? आपको कोर्ट को यह बताना होगा।

    आरोप

    गोंजाल्विस पर है भड़काऊ भाषण देने का आरोप

    कोर्ट गोंजाल्विस समेत पांच अन्य आरोपियों की जमानत की सुनवाई कर रही थी। इन पर 31 दिसंबर, 2017 को भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।

    आरोप है कि इन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिससे अगले दिन पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी।

    दरअसल, यहां लोग पेशवा ब्राह्मणों पर महार सैनिकों की जीत की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे।

    इस दौरान यहां हुई हिंसा में एक व्यक्ति की जान चली गई थी।

    गिरफ्तारी

    मामले में हुईं कईं बड़ी गिरफ्तारियां

    मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत गिरफ्तार किए गए गोंजाल्विस और पांच अन्य के माओवादियों के साथ संबंधों की जांच कर रही है।

    गोंजाल्विस के अलावा इस मामले में शिक्षाविद शोमा सेन, रोना विल्सन, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया था।

    वहीं गोंजाल्विस के वकील ने कहा कि पुणे पुलिस दूसरों के कंप्यूटरों से मिले पत्रों और ईमेल के आधार पर उनके खिलाफ मामला तैयार किया है।

    मामला

    किताबों को बताया गया भड़काऊ

    पुणे पुलिस की तरफ से दलील दे रहीं वकील अरुणा पाई ने कहा कि छापेमारी के दौरान जब्त किए कंप्यूटर और हार्ड डिस्क से गोंजाल्विस के खिलाफ कोई इलेक्ट्रोनिक्स साक्ष्य नहीं मिला है, लेकिन उनके घर से किताबों और सीडी के रूप में 'बेहद भड़काऊ सबूत' मिले हैं।

    इस पर गोंजाल्विस के वकील ने कहा कि ऐसी किताबों और सीडी को रखना किसी को आतंकी या प्रतिबंधित माओवादी संगठन का सदस्य नहीं बना देता है।

    वजह

    कोर्ट ने पूछी किताबें रखने की वजह

    दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जस्टिस कोटवाल ने गोंजाल्विस को यह बताने को कहा है कि उन्होंने अपने घर पर ऐसी किताबें क्यों रखी।

    साथ ही उन्होंने पुलिस से कहा है कि उसे भी अदालत को समझाना होगा कि ऐसी सीडी और किताबों वाली सामग्री गोंजाल्विस के खिलाफ ठोस सबूत की तरह हैं।

    इस पर गुरुवार को भी बहस जारी रह सकती है।

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