अर्नब गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा, कल होगी जमानत पर सुनवाई
इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किए गए रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को अलीबाग की एक अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इसको लेकर गोस्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई, लेकिन हाईकोर्ट ने जमानत पर फैसला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया। ऐसे में अब गोस्वामी का जमानत मिलने का इंतजार और बढ़ गया है।
इस मामले में हुई गोस्वामी की गिरफ्तारी
इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नायक (53) और उनकी मां कुमुद नायक ने 5 मई, 2018 को अपने फॉर्महाउस में सुसाइड कर लिया था। वहां मिले सुसाइड नोट में अन्वय ने गोस्वामी, फिरोज और नीतेश पर बकाया 5.40 करोड़ रुपये नहीं चुकाने आरोप लगाते हुए आत्महत्या के लिए मजबूर होना बताया था। मामले में महाराष्ट्र CID ने कार्रवाई करते हुए बुधवार सुबह गोस्वामी के घर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले को लेकर काफी हंगामा हो रहा है।
अप्रैल 2019 में पुलिस ने बंद कर दिया था मामला
साल 2018 में घटना के बाद जांच करते हुए पुलिस ने अप्रैल 2019 में मामले को सबूतों के अभाव में बंद कर दिया था। मई 2020 में अन्वय की बेटी अदन्या ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देखमुश से मामले की फिर से जांच की मांग की थी। जिस पर गृहमंत्री ने CID को मामले की जांच के आदेश दिए थे। अदन्या ने आरोप लगाया था पुलिस ने अर्नब गोस्वामी पर बकाया 83 लाख रुपये वाले एंगल की जांच नहीं की।
कोर्ट ने ठुकराई पुलिस हिरासत की मांग
पुलिस ने गोस्वामी को अलीबाग कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने ठुकराते हुए गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। हालांकि, कोर्ट ने गोस्वामी के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि गिरफ्तारी के समय पुलिस ने उनसे मारपीट की थी। गिरफ्तारी के समय के वीडियो में साफ दिख रहा था कि पुलिसकर्मी गोस्वामी से सहयोग की अपील कर रहे थे, लेकिन वह मारपीट का आरोप लगा रहे थे।
पुलिस गोस्वामी के खिलाफ दर्ज किया महिला पुलिसकर्मी से मारपीट का मामला
एनएम जोशी थाना पुलिस ने गोस्वामी के खिलाफ महिला पुलिसकर्मी से मारपीट का भी मामला दर्ज किया है। पुलिस का आरोप है गोस्वामी ने गिरफ्तारी के दौरान पुलिसकर्मी से मारपीट की थी। उनके खिलाफ धारा 353, 504 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है।
जमानत याचिका पर आज हुई सुनवाई
गोस्वामी के वकील गौरव पारकर ने बताया कि उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर दोपहर में सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने जमानत पर फैसला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया। गोस्वामी ने याचिका में कहा कि पुलिस ने मामले में 2018 में बयान दर्ज करने के बाद ही मामला बंद किया था। उन्होंने पहले भी जांच में पुलिस का सहयोग किया था और आगे भी करेंगे। ऐसे में उन्हें मामले में जमानत दी जानी चाहिए।
पुलिस ने दो अन्य आरोपियों को भी किया गिरफ्तार
पुलिस ने गोस्वामी के अलावा स्काइमीडिया के प्रबंध निदेशक फिरोज शेख और स्मार्टवर्क्स के मालिक नीतेश दरडा को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उन्हें भी कोर्ट में पेश किया था, जहां से उन्हें भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
केंद्रीय मंत्रियों ने की गिरफ्तारी की आलोचना
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने गोस्वामी की गिरफ्तारी की आलोचना की है। जावड़ेकर ने ट्वीट किया कि वो महाराष्ट्र में प्रेस की आजादी पर हुए हमले की निंदा करते हैं। यह उन्हें आपातकाल की याद दिलाता है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे निंदनीय, अनुचित और चिंताजनक बताया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर निशाना साधा है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी इसक निंदा की है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और NBA ने भी किया गिरफ्तारी का विरोध
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने गोस्वामी की गिरफ्तारी पर हैरानी व्यक्त की है। गिल्ड ने बयान जारी कर कहा कि वो इस गिरफ्तारी की निंदा करती है और यह बहुत खेदजनक है। इसी तरह न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से अपील करते हुए कहा कि राज्य की शक्ति का इस्तेमाल पत्रकारों के खिलाफ प्रतिशोध के लिए नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, वह गोस्वामी के पत्रकारित ब्रांड का समर्थन नहीं करते हैं।
अन्वय के परिवार ने जताई खुशी
मामले में अन्वय के परिवार ने खुशी जताई है। अन्वय की पत्नी अक्षता नायक ने कहा, "हम लंबे समय से गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। मुझे खुशी है कि महाराष्ट्र पुलिस ने आखिरकार यह कदम उठाया है। हम मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस के पास जाने पर धमकी दी गई थी। इतना ही नहीं गोस्वामी ने आत्महत्या के मामले की जांच को बाधित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है।