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पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सऐप से मांगा जवाब

पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी मामले में केंद्र सरकार ने व्हाट्सऐप से मांगा जवाब

Oct 31, 2019
05:51 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी के मामले में व्हाट्सऐप से जवाब मांगा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सऐप को इस मामले की विस्तृत जानकारी देने के लिए 4 नवंबर तक का समय दिया है। इससे पहले गुरुवार सुबह खबर आई थी कि इजरायली कंपनी के खुफिया सॉफ्टवेयर से मई में लोकसभा चुनाव के समय दो सप्ताह तक भारतीय पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के फोन में जासूसी की थी।

शक

जासूसी के पीछे इजरायली कंपनी के होने का शक

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब व्हाट्सऐप ने अमेरिका की एक अदालत में इजरायली सर्विलांस कंपनी NSO ग्रुप और Q साइबर टेक्नोलॉजीस के खिलाफ मुकदमा दायर किया। इस जासूसी के पीछे NSO ग्रुप का हाथ माना जा रहा है, जिसने सरकारी जासूसों को दुनियाभर में 1,400 व्हाट्सऐप यूजर्स के फोन में सेंध लगाने में मदद की थी। इन लोगों में राजनयिक, पत्रकार और बड़े सरकारी अधिकारी शामिल हैं। वहीं NSO ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है।

जांच

जांच में व्हाट्सऐप की मदद कर रहा सिटीजन लैब

स्क्रॉल.कॉम पर छपी खबर के मुताबिक, अभी तक 10 मानवाधिकार कार्यकर्ता, विद्वान और पत्रकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें इस जासूसी का निशाना बनाया गया है। उनमें से कुछ ने शक जताया कि इस जासूसी के पीछे भारत सरकार की एजेंसियां हो सकती हैं। इन लोगों को कनाडा स्थित सिटीजन लैब ने बताया था कि उनकी जासूसी हो रही है। सिटीजन लैब इस जासूसी हमले की जांच में व्हाट्सऐप की मदद कर रहा है।

पुष्टि

इन लोगों ने की जासूसी का शिकार होने की पुष्टि

अभी तक भारत में जिन लोगों ने जासूसी का निशाना बनने की बात की पुष्टि की है, उनमें भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मुकदमा लड़ रहे दो वकील शालिनी गैरा और निहाल सिंह राठौर, छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता बेला भाटिया और डिग्री प्रसाद चौहान, दलित चिंतक आनंद तेलतुंबड़े, BBC के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिबल, स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा शामिल हैं।

जानकारी

पेगासस के जरिए दिया गया जासूसी को अंजाम

इस काम के लिए इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का का खुफिया सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) इस्तेमाल किया गया था। आइये, जानते हैं कि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी को कैसे अंजाम दिया जाता है।

स्पाईवेयर

कैसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर?

किसी टारगेट को मॉनिटर करने के लिए पेगासस ऑपरेटर उसके पास व्हाट्सऐप पर एक लिंक भेजता है। इस लिंक पर क्लिक होते ही यूजर की जानकारी और परमिशन के बिना उसके फोन में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल हो जाता है। डाउनलोड होने के बाद पेगासस अपने ऑपरेटर की कमांड पर काम करता है। यह कमांड देने पर टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्सट मैसेज, वॉइस कॉल समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है।

डाउनलोड

मिस्ड वीडियो कॉल से इस्टॉल किया जा सकता है पेगासस

स्पाईवेयर की मदद से ऑपरेटर टारगेट के फोन का कैमरा और माइक्रोफोन भी ऑन कर सकता है, जिससे उसे टारगेट के आसपास की हलचलों का पता लग सकता है। कई बार फोन में स्पाईवेयर डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक की भी जरूरत नहीं होती। टारगेट को व्हाट्सऐप पर मिस्ड वीडियो कॉल मिलती है। अगर यूजर्स इस पर कोई रिस्पॉन्स भी नहीं देता है तब भी स्पाईवेयर उसके फोन में डाउनलोड हो जाता है।