कोलकाता मामला: जूनियर डॉक्टरों ने फिर शुरू की हड़ताल, सरकार पर लगाए कई आरोप
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को फिर से हड़ताल शुरू कर दी है। सोमवार रात को हुई डॉक्टरों ने 8 घंटे लंबी बैठक में दोबारा हड़ताल करने का निर्णय किया था। डॉक्टरों का आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने बैठक में किए गए वादों को पूरा नहीं किया और डॉक्टरों की सभी मांगे पूरी होने तक हड़ताल और प्रदर्शन जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दबाव बनाने के लिए किया हड़ताल का निर्णय
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि जूनियर डॉक्टरों ने अस्पतालों में पूर्ण रूप से काम बंद करने का फैसला किया है। सरकार की ओर से उनकी मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दबाव बनाने के लिए उनके पास हड़ताल ही आखिरी विकल्प रह गया था। बयान में कहा कि बिना भय के सेवाएं देने के लिए डॉक्टरों को पूर्ण सुरक्षा की जरूरत है।
डॉक्टरों ने CBI जांच की धीमी प्रक्रिया पर जताई नाराजगी
बयान में कहा गया है, 'हमने एहसास किया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच कितनी धीमी है। हमने कई बार देखा है कि CBI किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है, जिससे आरोप दायर करने में देरी के चलते ऐसी घटनाओं में असली दोषियों को राहत मिल जाती है।' फ्रंट ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई स्थगित कर कार्यवाही की वास्तविक अवधि को कम किया है। हम इस लंबी न्यायिक प्रक्रिया से निराश और क्रोधित हैं।'
घटना के 52 दिन बाद भी डॉक्टरों को नहीं मिली सुरक्षा
फ्रंट ने कहा, 'घटना के 52 दिन बाद भी हमें सुरक्षा नहीं मिली है। सरकार ने CCTV कैमरे भी कॉलेजों में कुछ ही जगह लगवाए हैं। इसके बाद भी सरकार डॉक्टरों पर गंभीर मरीजों को चिकित्सा सुविधा न देने का झूठा आरोप लगा रही है।' फ्रंट ने कहा, 'सगोर दत्ता मेडिकल कॉलेज में ICU बेड की कमी से मरीज की मौत हो गई। इसके बाद सुरक्षा उपायों की कमी के चलते मरीज के रिश्तेदारों ने डॉक्टरों पर हमला कर दिया।'
स्वास्थ्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ
फ्रंट ने कहा, 'आंदोलन के पहले दिन ही हमने कहा था कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधा दिए बिना और पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बिना डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना असंभव है। सगोर दत्ता की घटना इसका ज्वलंत उदाहरण है।' फ्रंट ने आरोप लगाया, 'राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने सगोर दत्ता अस्पताल की घटना में उनकी भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला है। उनका बयान पूरी तरह से गलत और अस्वीकार्य है।'
डॉक्टरों ने ये रखी मांगे
फ्रंट ने सरकार के सामने पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाने, स्वास्थ्य सचिव को उनके पद से हटाने, राज्य के सभी अस्पतालों में केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली लागू करने और एक डिजिटल बेड रिक्ति मॉनिटर स्थापित करने की मांग की है। इसी तरह उन्होंने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में टास्क फोर्स गठित करने के साथ अलग शौचालय, आराम कक्ष और CCTV लगाने, अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाने और नागरिक स्वयंसेवकों की जगह स्थायी महिला और पुलिस पुलिसकर्मी तैनात करने की मांग रखी है।
डॉक्टरों ने ये अन्य मांगे भी रखी
डॉक्टरों ने अस्पतालों में सभी रिक्त पदों को भरने, मेडिकल कॉलेजों में धमकी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जांच समिति गठित करने के साथ राज्य नगर निगम और आवास बोर्ड में भ्रष्टाचार और अराजकता की तुरंत जांच कराने की भी मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई थी राज्य सरकार को फटकार
डॉक्टरों की मांगे पूरी न करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि काम का कोई भी हिस्सा 50 प्रतिशत पूरा नहीं हुआ। सरकार की प्रक्रिया इतनी धीमी क्यों है? कोर्ट 9 अगस्त से मामले की निगरानी कर रहा है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार को 15 अक्टूबर तक सभी कार्यों को पूरा करने के भी आदेश दिए थे।
पहले 42 दिन तक हड़ताल पर रहे थे डॉक्टर
इस मामले में पहले डॉक्टरों ने 42 दिन तक हड़ताल की थी। उसके बाद मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों के साथ बैठक कर मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया था। उसके बाद डॉक्टरों ने 21 सितंबर को आंशिक रूप से हड़ताल वापस लेने का निर्णय किया था।
जूनियर डॉक्टरों ने निकाला था मशाल जुलूस
मामले में डॉक्टर और राज्य सरकार के बीच तकरार बढ़ती तकरार के बीच जूनियर डॉक्टरों ने आम लोगों के साथ रविवार को कोलकाता में मशाल जुलूस भी निकाला था। यह रैली आरजी कर अस्पताल, सागर दत्ता अस्पताल, एसएसकेएम अस्पताल, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और दक्षिण कोलकाता के जादवपुर में आयोजित की गई थी। डॉक्टरों ने जुलूस के माध्यम से एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी। उन्होंने चिकित्सकों और कर्मचारियों की कार्यस्थल पर सुरक्षा की मांग दोहराई थी।
क्या है महिला डॉक्टर की हत्या का मामला?
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर का शव मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डॉक्टर की हत्या से पहले रेप की पुष्टि हुई थी। मामले में पुलिस ने अस्पताल में आने-जाने वाले एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया और उसका पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया गया है। फिलहाल CBI मामले की जांच कर रही है। CBI ने अब पूर्व प्रधानाचार्य डॉ घोष और थानाप्रभारी मंडल को सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया है।