कोलकाता मामला: CBI ने पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष सहित 4 लोगों को क्यों किया गिरफ्तार?
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। CBI ने सोमवार को मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ संदीप घोष सहित 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई संस्थान में वित्तीय कदाचार में कथित संलिप्तता के मामले में की है। उनकी गिरफ्तारी की खबर से प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया।
CBI ने पूछताछ के बाद किया घोष को गिरफ्तार
इस मामले में CBI ने अपने साल्ट लेक कार्यालय में 15वें दिन भी डॉ घोष को पूछताछ के लिए बुलाया था। बाद में उन्हें कोलकाता में CBI के निजाम पैलेस कार्यालय ले जाया गया, जहां एजेंसी की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या की घटना के 24 दिन बाद दूसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले, कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
CBI ने इन्हें भी किया गिरफ्तार
CBI ने मामले में कार्रवाई करते हुए सबसे पहले डॉ घोष को गिरफ्तार किया था। उसके बाद टीम ने दबिश देकर उनके सुरक्षा गार्ड अफसर अली खान को भी गिरफ्तार कर लिया और एक अन्य टीम ने कॉलेज में सामान की आपूर्ति करने वाले दो विक्रेताओं बिप्लव सिंघा और सुमन हाजरा को भी दबोच लिया। जांच में सामने आया है कि डॉ घोष ने अपने सुरक्षा गार्ड और सामग्री विक्रेताओं के साथ मिलकर ही अनियमितताओं को अंजाम दिया था।
जांच के दायरे में कैसे आए घोष?
9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सभागार एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। डॉ घोष ने न तो कोई रिपोर्ट दर्ज कराई और डॉक्टर के परिजनों को भी उसके आत्महत्या करने की जानकारी दी थी। कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी भूमिका पर सवाल खड़े किए थे और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया था। CBI ने उनका पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया था।
घोष के खिलाफ क्या हैं आरोप
पूर्व उपाधीक्षक अली ने कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में डॉ घोष और अन्य पर सरकारी धन की बर्बादी, वित्तीय नियमों की अनदेखी, टेंडर देने में भाई-भतीजावाद करने और उनसे रिश्वत लेने तथा संविदा कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता के आरोप लगाए हैं। इसी तरह उन्होंने घोष के खिलाफ लावारिस शवों की बिक्री भी शामिल होने, बांग्लादेश में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट और चिकित्सा आपूर्ति की तस्करी करने का भी आरोप लगाया है।
वित्तीय अनियमितता के मामले में CBI ने दर्ज की थी FIR
CBI ने 24 अगस्त को डॉ घोष के खिलाफ वित्तीय अनियमितता का मामला दर्ज किया था। CBI ने यह कार्रवाई कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर की थी। दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर घोष के खिलाफ वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था। उसके बाद हाई कोर्ट ने अस्पताल में भ्रष्टाचार के मामले की जांच का जिम्मा भी CBI को सौंप दिया था।
CBI की छापेमारी में मिले थे कई अहम सबूत
CBI ने FIR दर्ज करने के अगले ही दिन यानी 25 अगस्त को डॉ घोष के आवास सहित कुल 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इनमें घोष के आवास के अलावा फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के डॉक्टर देबाशीष सोम, मेडिकल सुपरिटेंडेंट कम वाइस प्रेसिडेंट संजय बशिष्ठ और अस्पताल के आपूर्तिकर्ता बिप्लब सिंह के आवास और ठिकाने शामिल थे। CBI के अनुसार, छापेमारी में वित्तीय अनियमितता से जड़े कई सबूत और दस्तावेज मिले थे, जिनकी जांच जारी है।
घोष के खिलाफ ED ने भी दर्ज की FIR
CBI की छापेमारी के अगले ही दिन यानी 27 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी डॉ घोष के खिलाफ FIR दर्ज कर ली थी। उनके खिलाफ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय कदाचार के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के साथ-साथ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और बेईमानी के आरोपो में FIR दर्ज की गई है। ये सभी मामले संज्ञेय अपराध से जुड़े हैं और इनमें जमानत का प्रावधान नहीं हैं। अब ED भी उनसे पूछताछ करेगी।