कोलकाता डॉक्टर की रेप-हत्या: विरोध में सड़कों पर उतरे छात्र, सरकार ने तैनात किए 6,000 पुलिसकर्मी
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में विरोध-प्रदर्शनों का दौर अभी थमा नहीं है। डॉक्टरों के बाद अब छात्र संगठन ने आज 'नबन्ना अभिजन' के नाम से विरोध मार्च का आह्वान किया है। इसमें छात्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर सचिवालय तक मार्च करेंगे। हालांकि, पुलिस ने इस विरोध मार्च की अनुमति न लेने की बात कही है और भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं।
कोलकाता में रची जा रही है बड़ी साजिश
इस विरोध मार्च पर कोलकाता पुलिस का कहना है कि एक गैर पंजीकृत छात्र संगठन ने विरोध मार्च का आह्वान किया है। वह घटना के प्रति लोगों के गुस्से का दुरुपयोग कर राज्य में अराजकता पैदा करने करना चाहते हैं। यह एक बड़ी साजिश है। पुलिस का कहना है कि 'नबन्ना अभिजन' का आह्वान करने वालों में से एक ने एक राजनीतिक दल के नेता से मुलाकात की है। पुलिस के बल प्रयोग करते ही अराजकता फैलाने की तैयारी है।
पुलिस ने क्या की है तैयारी?
पुलिस ने इस विरोध मार्च के दौरान हिंसा की आशंका को देखते हुए शहर की सड़कों पर 6,000 से ज्यादा कर्मियों को तैनात किए हैं। इसके अलावा पानी की बौछारें करने वाली गाड़ियां भी तैयार रखी हैं और कम से कम 19 जगहों पर बैरिकेडिंग पॉइंट बनाए गए हैं। राज्य ने स्थिति पर नजर रखने के लिए 26 जिला कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह रैली पर नजर रखने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की भी तैयारी है।
हावड़ा ब्रिज पर खड़ी की लोहे की दीवार
पुलिस ने छात्रों के विरोध मार्च को रोकने के लिए हाबड़ा ब्रिज को सील कर दिया गया है। ब्रिज पर लोहे की दीवार खड़ी की गई है और उसे मोबिल से चिकना कर दिया गया है ताकि कोई उसपर चढ़ न सके। वहां पर किसी भी वाहन के आवागमन की अनुमति नहीं है और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस ने भी इस तरह ही किसानों को रोका था।
क्या है 'नबन्ना अभिजन'?
नबन्ना राज्य का सचिवालय है और यही से पश्चिम बंगाल सरकार संचालित होती है। यहीं पर मुख्यमंत्री बनर्जी समेत अन्य शीर्ष मंत्रियों के कार्यालय हैं। छात्रों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे सहित 3 मांगों को लेकर सचिवालय तक विरोध मार्च का आह्वान किया है।
ADG ने विरोध मार्च को बताया अवैध
नबन्ना में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) मनोज वर्मा ने कहा कि पुलिस को विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली है, जिसके अनुसार उपद्रवियों द्वारा प्रदर्शनकारियों के बीच घुसने और रैली के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता भड़काने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा-163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है, जिससे 5 या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर रोक लग गई है।
छात्र संगठनों ने किया ADG के दावों का खंडन
इधर, छात्र संगठनों ने व्यवधान के दावों का खंडन किया है। छात्र समाज के प्रवक्ता सायन लाहिड़ी ने कहा, "तृणमूल कांग्रेस (TMC) और पुलिस के दावे निराधार हैं। हमारा उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग उठाना है।" उन्होंने कहा, "मार्च कई जगहों से शुरू होकर नबन्ना की ओर बढ़ेगा और यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक है। छात्र संगठनों को भाजपा, RSS या ABVP से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में पुलिस को चिंता की जरूरत नहीं है।"
पुलिस को ईमेल के जरिए दी है सूचना- लाहिड़ी
लाहिड़ी ने कहा, "हमने पुलिस को ईमेल के जरिए रैली के बारे में सूचित किया है और वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार इस पर चर्चा की है। हमारी रैली के अवैध होने के आरोप झूठे हैं।" इधर, ADG सुप्रतिम सरकार ने कहा कि पुलिस ने दोनों संगठनों के आवेदनों को खारिज कर दिया है, जो पुलिस को आखिरी समय में भेजे गए थे। मेल में केवल कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी और उसमें रैली का कोई जिक्र नहीं था।
राज्यपाल ने सरकार से की बल प्रयोग न करने की अपील
इधर, देर रात राजभवन द्वारा जारी एक वीडियो संदेश में राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह छात्रों को रैली आयोजित करने से रोकने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग न करे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार इस घटना पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न नहीं करेगी। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार को वैध शक्तियों का प्रयोग करने से नहीं रोका है।