#NewsBytesExplainer: क्या है बाटला हाउस मुठभेड़ मामला, जिसमें आतंकी आरिज खान की फांसी पर रोक लगी?
2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए आरिज खान की मौत की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। 15 मार्च, 2021 को निचली कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी आरिज को मामले में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी करार दिया था। आइए जानते हैं कि बाटला हाउस मुठभेड़ मामला क्या है और इसके दोषी आरिज खान कौन है।
दिल्ली में सिलसिलेवार बम धमाकों से हुई थी मामले की शुरुआत
13 सितंबर, 2008 को दिल्ली के कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश सेक्टर 1 और करोल बाग के गफ्फार बाजार में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 30 लोगों की मौत हुई थी और 130 से अधिक लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने कुछ जिंदा बम भी बरामद किए थे, जिन्हें समय रहते निष्क्रिय कर दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने ली, जो 2002 के गुजरात दंगों के बाद अस्तित्व में आया था।
बाटला हाउस में छिपे बैठे थे धमाकों के आरोपी
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को 19 सितंबर, 2008 को सूचना मिली कि बम धमाकों के आरोपी जामिया नगर के बाटला हाउस में छिपे हैं। इसके बाद पुलिस की 7 सदस्यों की टीम बाटला हाउस की L-18 नंबर इमारत में पहुंची तो आतंकियों ने उन पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। मुठभेड़ में पुलिस ने 2 आतंकियों को ढेर कर दिया, जबकि 2 आतंकी भागने में सफल हो गए। इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए।
कैसें पकड़ में आए फरार आतंकी?
बाटला हाउस मुठभेड़ में आरिज खान के साथ-साथ शहजाद अहमद भागने में कामयाब रहे थे। आरिज भागकर नेपाल पहुंच गया और वहां की नागरिकता लेकर मोहम्मद सलीम नाम का पासपोर्ट बनवा लिया। वो 2014 में सऊदी अरब चला गया और फरवरी, 2018 में वहां से भारत आया। खुफिया सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस ने आरिज को भारत-नेपाल सीमा के करीब से गिरफ्तार कर लिया। 2010 में उत्तर प्रदेश के आतंक विरोधी दस्ते (ATS) ने शहजाद को आजमगढ़ से गिरफ्तार किया।
कौन है आरिज खान?
आरिज इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य है, जिसने 13 सितंबर, 2008 को हुए बम धमाकों की जिम्मेदारी ली थी। इसके अलावा उस पर दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश की कई कोर्ट में हुए धमाकों का भी आरोप है। उसे बाटला हाउस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या करने के आरोप में मार्च, 2021 में दोषी करार दिया गया था। आरिज के साथ फरार हुए दूसरा दोषी शहजाद अहमद की जनवरी, 2023 में जेल में मौत हो गई थी।
बड़े राजनीतिक विवाद का केंद्र रही है बाटला हाउस मुठभेड़
मुठभेड़ में आतिफ अमीन और मोहम्मद सैफ नाम के मारे गए आतंकियों को लेकर तब देश में यह खबर फैली थी कि दिल्ली पुलिस ने छात्रों को आतंकी समझकर मार दिया। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक बयान में कहा कि सोनिया गांधी को इन तस्वीरों को देखकर रोना आ गया था। तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने 17 अक्टूबर, 2008 को जामिया नगर की एक सभा में मुठभेड़ को फर्जी बताया था। भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टीकरण बताती है।
कौन थे मोहन चंद शर्मा?
मोहन चंद शर्मा 1989 में दिल्ली पुलिस में शामिल हुए थे और उन्हें 6 साल बाद प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बनाया गया था। वे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के साथ काम करते थे और वे दिल्ली पुलिस के एकमात्र ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें कम से कम 7 बार वीरता पुरस्कार से नवाजा गया है। बाटला हाउस मुठभेड़ और इसमें उनकी मौत पर फिल्म भी बन चुकी है।
मामले में पहले कब-कब क्या हुआ?
अप्रैल, 2010: दिल्ली की एक कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर मुठभेड़ को दिल्ली बम धमाकों से जुड़ा बताया गया। 15 फरवरी, 2011: कोर्ट ने शहजाद पर आरोप तय किये। 20 जुलाई, 2013: कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा। 25 जुलाई, 2013: कोर्ट ने शहजाद को इंस्पेक्टर शर्मा की हत्या और अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमला करने का दोषी ठहराया। 30 जुलाई, 2013: कोर्ट ने शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई। 8 मार्च, 2021: आरिज खान को दोषी ठहराया।