बाटला हाउस मुठभेड़: आरिज खान के मृत्युदंड को दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदला
बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए आरिज खान की मौत की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने ये फैसला सुनाया है। 15 मार्च, 2021 को निचली अदालत ने आरिज को इस मामले में दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे।
क्या है मामला?
13 सितंबर, 2008 को दिल्ली में 5 जगहों पर बम धमाके हुए थे। 19 सितंबर को इन धमाकों से जुड़े आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के कुछ आतंकियों के दिल्ली के बाटला हाउस में छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने घर पर दबिश दी थी, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। पुलिस ने 2 आतंकवादियों को मार गिराया था और इंस्पेक्टर शर्मा शहीद हो गए थे।
सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
कोर्ट में आरिज के वकील ने तर्क दिया था कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह कहे कि उनके मुवक्किल आरिज को सुधारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा था कि अगर सुधार की काेई संभावना नहीं है तो आजीवन कारावास की सजा का भी नियम है। दूसरी ओर, विशेष लोक अभियोजक राजेश महाजन ने कहा था कि एक वर्दीधारी पुलिस अधिकारी की हत्या दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है, जाे मौत की सजा को उचित ठहराता है।
नेपाल भाग गया था आरिज
मुठभेड़ के दौरान आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद की मौत हो गई थी। एक अन्य आरोपी शहजाद अहमद को 2013 में सजा सुनाई गई थी। वहीं, आरिफ नेपाल भाग गया था। साल 2018 में आरिज को नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 8 मार्च, 2021 को आरिज खान को दोषी ठहराया था और 15 मार्च, 2021 को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। सजा की पुष्टि के लिए मामला हाई कोर्ट को भेजा गया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
13 दिसंबर, 2008 को दिल्ली की 5 अलग-अलग जगहों पर चंद मिनटों के अंतराल पर बम विस्फोट हुए थे। पालिका बाजार, ग्रेटर कैलाश और गफ्फार मार्केट जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए इन धमाकों में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। पुलिस ने 4 जिंदा बमों को भी बरामद कर निष्क्रिय किया था। इस हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी।