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    #NewsBytesExplainer: भारत और चीन के लिए क्यों अहम है मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव?
    मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और मोहम्मद मुइज्जू के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है

    #NewsBytesExplainer: भारत और चीन के लिए क्यों अहम है मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव?

    लेखन आबिद खान
    Sep 28, 2023
    08:00 pm

    क्या है खबर?

    मालदीव में 30 सितंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू के बीच इस पद के लिए मुकाबला होना है।

    इससे पहले चुनाव के प्रथम चरण में किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए जरूरी वोट नहीं मिले थे, जिसके बाद ये दूसरा चरण है। इन चुनावों को भारत और चीन के लिए भी अहम माना जा रहा है।

    आइए समझते हैं कि इसकी क्या वजह है।

    भारत

    मालदीव चुनावों में क्यों हो रही भारत-चीन की चर्चा?

    दरअसल, निवर्तमान राष्ट्रपति सोलिह​ को भारत का समर्थक माना जाता है। 2018 के चुनाव में जीत के बाद उन्होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए 'इंडिया फर्स्ट' नीति पर काम करना शुरू किया था।

    दूसरी ओर, विपक्षी उम्मीदवार मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। वे खुले तौर पर चीन के साथ संबंध बढ़ाने की वकालत कर चुके हैं। उन्हें 'इंडिया आउट' नीति के समर्थक हैं।

    महत्व

    भारत-चीन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है मालदीव के चुनाव?

    मालदीव हिंद महासागर में दुनिया के सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम शिपिंग लेन पर स्थित है। इस वजह से इस देश का व्यापारिक महत्व है।

    रणनीतिक लिहाज से भी मालदीव दोनों देशों के लिए अहम है। यहां से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस इलाके में चीन के बढ़ते दखल की वजह से भारत के लिए ये महत्वपूर्ण है। यानी मालदीव के चुनाव देश के साथ ही आसपास के इलाकों का भविष्य भी तय करेंगे।

    संबंध

    मालदीव के साथ कैसे हैं भारत के संबंध?

    मालदीव के साथ भारत के करीब 6 दशक पुराने राजनयिक और सैन्य संबंध हैं।

    1965 में मालदीव को ब्रिटेन से आजादी मिली। तब भारत उन देशों में से था, जिसने सबसे पहले मालदीव को स्वतंत्र देश की मान्यता दी थी।

    1980 में भारत ने मालदीव में अपना उच्चायोग खोला था। 2004 में मालदीव ने भी नई दिल्ली में अपना उच्चायोग खोला। 2004 की सुनामी के दौरान भारत ने मालदीव में बड़े पैमाने पर राहत अभियान चलाया था।

    निवेश

    मालदीव में भारत का कितना निवेश है?

    मालदीव की कई परियोजनाओं में भारत ने करोड़ों डॉलर का निवेश कर रखा है। हालिया सालों में भारत ने 2 अरब डॉलर से अधिक के कर्ज और सहायता की पेशकश मालदीव को की है।

    2021 में भारत ने मालदीव में 45 से अधिक ढांचागत विकास योजनाओं में भागीदारी की है। अगस्त 2021 में भारत और मालदीव के बीच ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना पर समझौता हुआ, जिसके तहत भारत ने 50 करोड़ डॉलर की मदद की।

    चीन

    मालदीव में चीन का कितना निवेश है?

    मालदीव चीन की बेल्ट और रोड परियोजना का हिस्सा है। 2016 में मालदीव ने चीन को अपना एक द्वीप 40 लाख डॉलर में 50 सालों के लिए लीज पर दिया था।

    2018 में चीन ने 2.1 किलोमीटर लंबा 4 लेन का एक पुल बनाया था, जो राजधानी माले को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ता है। ये परियोजना करीब 20 करोड़ डॉलर की थी।

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालदीव पर चीन का करीब 100 करोड़ डॉलर का कर्ज है।

    पलड़ा

    चुनावों में किसका पलड़ा भारी है?

    चुनावों के पहले चरण में मुइज्जू को 46 प्रतिशत और सोलिह को 39 प्रतिशत वोट मिले थे। इस लिहाज से मुइज्जू का पलड़ा भारी माना जा रहा है।

    हालांकि, दोनों के बीच महज 15,000 वोटों का ही अंतर है, इसलिए दूसरे चरण में काटें की टक्कर हो सकती है।

    रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पहले चरण के बाद सोलिह ने स्थानीय मुद्दों को प्रचार अभियान में जगह देकर वोटों का अंतर कम करने की कोशिश की है।

    पल्स

    न्यूजबाइट्स प्लस

    नवंबर, 1988 में भारत ने मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस चलाया था। तब राष्ट्रपति अब्दुल गयूम के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा था और उन्होंने भारत से मदद मांगी थी।

    इसके बाद भारत ने करीब 400 जवान राजधानी माले भेजे थे, जिन्होंने न सिर्फ विद्रोह पर काबू किया, बल्कि राष्ट्रपति गयूम को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। भारत के इस ऑपरेशन की अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने तारीफ की थी।

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