CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, केंद्र को चुनौती देने वाला बना पहला राज्य
क्या है खबर?
नागरिकात संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश में रार बढ़ती जा रही है। इसको लेकर गत शुक्रवार को केन्द्र सरकार की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद अब केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सरकार की ओर से दायर याचिका में CAA को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। इसी के साथ केरल इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला पहला राज्य बन गया है।
उल्लंघन
CAA को बताया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कानून
केरल सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में इस कानून को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया गया है।
सरकार ने संविधान के अनुच्छे 131 के तहत याचिका लगाते हुए इस काननू को असंवैधानिक करार देने की मांग की है। यह अनुच्छेद केन्द्र और किसी राज्य के बीच विवाद के लिए सुप्रीम कोर्ट को अधिकार देता है।
सरकार के अनुसार यह कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 का भी उल्लंघन करता है।
प्रस्ताव
केरल विधानसभा में पारित हो चुका है CAA रद्द करने का प्रस्ताव
केरल विधानसभा ने दिसंबर में CAA को रद्द करने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। प्रस्ताव का भाजपा के ओ राजगोपाल को छोड़कर सभी 138 विधायकों ने समर्थन दिया था।
उस दौरान मुख्यमंत्री पी विजयन ने CAA के कार्यान्वयन को समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए कहा था कि संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित CAA 2019 ने विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा किया है और उसकी कारण देशव्यापारी विरोध हो रहा है।
विज्ञापन
केरल सरकार ने CAA के खिलाफ समाचार पत्र में भी दिया था विज्ञापन
केरल सरकार की ओर से महिने विधानसभा में CAA खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के बाद सरकार ने गत शुक्रवार को प्रमुख समाचार-पत्रों के मुख पृष्ठ पर भी कानून के विरोध का विज्ञापन भी प्रकाशित कराया था।
उस विज्ञापन में कहा गया था कि राज्य संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का प्रयास कर रहा है। केरल विधानसभा इसके खिलाफ प्रस्ताव पारीत करने वाली देश की पहली विधानसभा है। राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खाने ने इस पर विरोध जताया था।
विरोध
कानून का देशभर में हो रहा है विरोध
CAA को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। कई राज्यों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। गैर भाजपा सरकार वाले राज्यों के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उनके राज्य में सीएए लागू नहीं होगा।
केरल की विधानसभा ने तो सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट CAA के खिलाफ लगी करीब 60 याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगा।
दावा
गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का दावा कर रही सरकार
नागरिकता संशोधन विधेयक 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून बन गया था। सरकार इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का दावा कर रही है।
उत्तर प्रदेश राज्य ने तो 40,000 शरणार्थियों की सूची केन्द्र को भेज दी है। इसके बाद भी देशभर में इसका विरोध किया जा रहा है।