सबरीमाला मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर सुरक्षित रखा फैसला, मंदिर बोर्ड का यू-टर्न
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर दिए गए फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की।
कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। लगभग चार घंटे तक चली इस सुनवाई में मामले को लेकर नया मोड़ आ गया।
अब तक मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले का विरोध कर रहे त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया है।
जानकारी
पांच सदस्यीय बेंच ने की सुनवाई
इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आएएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पांच सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले में आदेश बाद में सुनाया जाएगा।
यू-टर्न
मंदिर के बोर्ड ने लिया यू-टर्न
सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने सुनवाई के दौरान अपना रूख बदल लिया।
अब तक बोर्ड सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले का विरोध करता आ रहा था, लेकिन आज बोर्ड ने कहा कि वो मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के फैसले का समर्थन करता है।
वहीं केरल सरकार ने अपने रूख पर कायम रहते हुए पुनर्विचार याचिकाओं का विरोध किया।
क्या था मामला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने 28 सितंबर, 2018 को 4-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया था।
इस फैसले में कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर में चली आ रही 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव बताते हुए निरस्त कर दिया था।
कोर्ट के फैसले के खिलाफ 45 से ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थी।
जानकारी
इन दो महिलाओं ने रचा था इतिहास
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध किया जा रहा था। भारी विरोध के बीच पिछले महीने कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनी नामक दो महिलाएं पुलिस सुरक्षा के साथ मंदिर में प्रवेश करने में कामयाब रही थी।
कनकदुर्गा
घर से निकाली गईं कनकदुर्गा वापस लौटीं
मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला कनकदुर्गा वापस अपने घर लौट आई है।
इससे पहले 15 जनवरी को जब वे अपनी घर लौटी थीं तो उनकी सास ने उन पर हमला कर दिया था, जिसके बाद कनकदुर्गा को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
बाद में उनके पति और उनकी सास ने कनकदुर्गा को घर से निकाल दिया था, जिसके बाद वे एक सरकारी आश्रय स्थल में रहने लगी थीं।
बयान
कनकदुर्गा के पति और सास ने छोड़ा घर
कनकदुर्गा ने खुद को घर से निकाले जाने की शिकायत की थी।
अब कोर्ट के फैसले के बाद कनकदुर्गा अपने घर लौट आई हैं, लेकिन उनके आने से पहले उनकी सास और उनके पति बच्चों को लेकर घर छोड़कर चले गए।
कनकदुर्गा ने कहा, "मैं उन लोगों के साथ रहना चाहती हूं, लेकिन वे लोग मेरे साथ नहीं रहना चाहते। पर मुझे यकीन है कि मैं जल्द ही इन मुश्किलों का समाधान निकालकर उनके साथ रह पाउंगी।"