अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पहली पुनर्विचार याचिका दायर
अयोध्या भूमि विवाद में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैय्यद अशाद रशीदी ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 137 के तहत इस फैसले की समीक्षा होनी चाहिए। जमीयत के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) भी 9 दिसंबर से पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने पिछले महीने दशकों पुराने अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने को कहा था। कोर्ट ने फैसले में सरकार को मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस फैसले को चुनौती नहीं देने का फैसला किया है। हालांकि, इसने जमीन लेने या न लेने के बारे में अपनी स्थिति साफ नहीं की है।
याचिका में क्या कहा गया है?
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पार्टियों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हिंदू पक्ष की अवैध दलीलों को माफ कर दिया और मुस्लिमों को वैकल्पिक जमीन दे दी, जिसकी मुस्लिम पक्ष ने कभी मांग नहीं की थी। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पूरे फैसले को चुनौती नहीं दे रहे हैं। गौरतलब है कि कोर्ट के फैसले पर चर्चा करने के लिए 14 नवंबर को जमीयत की बैठक हुई थी
पुनर्विचार याचिका के लिए क्या नियम है?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए 30 दिनों का समय होता है। इस याचिका में याचिकाकर्ता को यह साबित करना है कि पहले दिए गए फैसले में क्या खामी है। 30 दिन बीतने के बाद याचिका दायर नहीं की जा सकती। इस पर सुनवाई के दौरान वकीलों की ओर से जिरह नहीं की जाती। कोर्ट द्वारा पहले दिए गए फैसले की फाइलों और रिकॉर्ड्स पर ही विचार किया जाता है।
दूसरा विकल्प है क्यूरेटिव पिटिशन
अगर याचिकाकर्ता को पुनर्विचार याचिका पर आए फैसले पर भी संतुष्टि नहीं होती तो उसके पास क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का विकल्प होता है। इसका एक मतलब किसी मामले में बड़ी बेंच से सुनवाई भी होता है। यह याचिका दाखिल करने के लिए भी 30 दिन का समय मिलता है। इस सुनवाई में केवल कानूनी पहलुओं पर गौर किया जाता है। इसकी सुनवाई करने वाली बेंच में तीन वरिष्ठतम जजों के अलावा फैसला देने वाले जज शामिल होते हैं।
100 मुस्लिम हस्तियों ने की थी पुनर्विचार याचिका दायर न करने की मांग
हाल ही में नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी समेत 100 जानी-मानी मुस्लिम हस्तियों ने अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का विरोध किया था। पत्र लिखकर विरोध करने वाली हस्तियों में इस्लामी विद्वान, कारोबारी, सामाजिक कार्यकर्ता, शायर, अभिनेता, थिएटर कलाकार और दूसरे लोग शामिल थे। इनका कहना है कि अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका इस विवाद को जिंदा रखेगी और इससे मुसलमानों को नुकसान होगा।