कोरोना वायरस: क्यों मामले कम न होने के बावजूद चिंतित नहीं है केरल सरकार?
सितंबर में पीक (चरम) के बाद से भारत के लगभग हर राज्य में कोरोना वायरस के दैनिक मामलों में बड़ी कमी आई है, वहीं केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां इस ट्रेंड के विपरीत दैनिक मामलों की संख्या में ज्यादा कमी नहीं आई और यहां कोरोना वायरस का कर्व अब तक फ्लैट नहीं हुआ है। हालांकि इसके बावजूद राज्य की सरकार चिंतित नहीं है। इसका क्या कारण है, आइए आपको आंकड़े के जरिए समझाने की कोशिश करते हैं।
सबसे पहले जानें केरल में क्या है स्थिति
केरल में पिछले चार महीनों में कोरोना वायरस से संक्रमण के सात लाख से अधिक मामले सामने आए हैं जो देश के अन्य किसी राज्य से अधिक हैं। राज्य में 1 सितंबर से अब तक रोजाना औसतन 5,500 नए मामले सामने आए हैं और इनमें से 70 दिन ऐसे रहे जब केरल में देश में सबसे अधिक नए मामले सामने आए। यही नहीं, पिछले 45 दिन से राज्य में रोजाना सबसे अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं।
केरल में सबसे अधिक सक्रिय मामले
हालिया महीनों में केरल का राष्ट्रीय मामलों में कितना योगदान रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी राज्य में सबसे अधिक सक्रिय मामले (64,500) हैं जो देश के कुल सक्रिय मामलों के लगभग 30 प्रतिशत हैं।
इस कारण स्थिति को लेकर चिंतित नहीं है केरल सरकार
हालांकि इन आंकड़ों के बावजूद केरल सरकार स्थिति को लेकर चिंतित नहीं है और इसका एक मुख्य कारण है राज्य की बेहद कम मृत्यु दर। दरअसल, केरल में हालिया समय में संक्रमण के मामले तो बढ़े हैं, लेकिन यहां इसी अनुपात में मौतें देखने को नहीं मिली हैं। केरल की मृत्यु दर 0.41 प्रतिशत है जो 1.44 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले साढ़े तीन गुना कम है, वहीं सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में सबसे कम है।
संक्रमितों के मामले में पांचवें तो मौतों के मामले में 12वें स्थान पर केरल
केरल की अपेक्षाकृत कम मृत्यु दर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां यह संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है, वहीं कुल मौतें के मामले में यह 12वें स्थान पर है। कोरोना संक्रमण के कारण केरल में अब तक कुल 3,327 लोगों की मौत हो चुकी है और राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा के अनुसार, राज्य में कभी भी एक दिन में 35 से अधिक मौतें नहीं हुईं।
इस रणनीति के कारण मृत्यु दर को कम रखने में कामयाब रही केरल सरकार
शैलजा के अनुसार, केरल मामलों में अचानक और तेज पीक को रोकने में कामयाब रहा है और इससे उसके यहां कम मौतें हुई हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "बाकी राज्यों में मामले ऊपर गए और फिर नीचे आने लगे, लेकिन इससे अधिक मौतें हुईं। हमारी मुख्य रणनीति एक साथ ज्यादा लोगों में संक्रमण फैलने से रोकने और मौतों को सीमित करने की रही... इतने अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य में मृत्यु दर आधे प्रतिशत से भी कम है।"
कम क्यों नहीं हो रहे मामले, विशेषज्ञों के पास इसका ठोस जबाव नहीं
केरल में मृत्यु दर बेशक कम हो, लेकिन यहां नए मामले लगातार ज्यादा क्यों बने हुए हैं, इसे लेकर विशेषज्ञों के पास कोई ठोस जबाव नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि केरल में कोरोना महामारी की पहली लहर में ज्यादा लोग संक्रमित नहीं हुए और उन पर संक्रमित होने का खतरा बना हुआ था, इसलिए अब ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने राज्य के अधिकांश हिस्सों के शहरीकरण को इसके लिए जिम्मदेार माना है।