कोरोना वायरस: दो महीने बाद फिर उसी मोड़ पर आकर खड़ी हुई दिल्ली, बिगड़ रही स्थिति
देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर वहीं आकर खड़ी है जहां वह दो महीने पहले थी। जो दिल्लीवासी पिछले महीने तक कोरोना वायरस को हराने का जश्न मना रहे थे, उन्हें एक बार फिर से शहर का भविष्य धुंधला नजर आ रहा है और मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। दिल्ली का उदाहरण पूरे देश को यह सबक सिखाने के लिए काफी है कि इस वायरस के खिलाफ जल्दबाजी में जश्न मनाना बेहद भारी पड़ सकता है।
जून में स्थिति बिगड़ने के बाद जुलाई-अगस्त में दिल्ली में सुधरे थे हालात
जून में स्थिति बिगड़ने और एक दिन में लगभग 4,000 नए मामले सामने आने के बाद जुलाई और अगस्त में शहर की स्थिति में सुधार हुआ था। इस दौरान दैनिक मामलों की संख्या 1,000 से नीचे आ गई और मौतों की संख्या भी एक अंक तक सिमट गई। इस पूरे समय रोजाना ठीक होने वाले मामलों की संख्या नए मामलों के मुकाबले अधिक रही और इसकी बदौलत सक्रिय मामलों की संख्या 10,000 से काफी नीचे आ गई
पिछले दो हफ्ते में फिर बिगड़ी स्थिति
इस स्थिति के बाद दिल्लीवासियों और दिल्ली सरकार ने मान लिया कि उन्होंने कोरोना वायरस महामारी को हरा दिया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों को उनके सहयोग के लिए बधाई भी दे दी। लेकिन पिछले दो हफ्ते में स्थिति फिर से पलटी और पिछले चार दिन से शहर में 2,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। गुरूवार को शहर में 2,700 से अधिक नए मामले सामने आए जो 28 जून के बाद सबसे अधिक हैं।
टेस्ट पॉजिटिविटी रेट में भी वृद्धि
इस दौरान दिल्ली की टेस्ट पॉजिटिविटी रेट में भी वृद्धि देखने को मिली है और पहले जुलाई-अगस्त में जहां ये गिरकर छह प्रतिशत के आसपास आ गई थी, अभी ये फिर से लगभग साढ़े नौ प्रतिशत हो गई है।
इन चीजों को माना जा रहा मामले बढ़ने का कारण
दिल्ली में आए मौजूदा उछाल के लिए प्रवासी मजदूरों की वापसी से लेकर आर्थिक गतिविधियां शुरू होने और यातायात में रिहायत को कारण माना जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञ लंबे समय तक मामलों में गिरावट के बाद लोगों में आई लापरवाही को भी इसकी एक बड़ी वजह मान रहे हैं। शहर में कई जगहों पर लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में इकट्ठा हो रहे हैं।
टेस्टिंग में कमी को भी माना जा रहा मामले बढ़ने की वजह
दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में फिर से उछाल का एक कारण टेस्टों की संख्या में कमी आना भी है। शहर में अगस्त के अंत में रोजाना औसतन 17,924 टेस्ट किए जा रहे थे, वहीं 9 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में ये आंकड़ा 21,660 था। इसके अलावा दिल्ली में बड़ी संख्या में कम भरोसेमंद एंटीजन टेस्ट का भी प्रयोग किया जा रहा है। ये टेस्ट गलत नेगेटिव दिखा देते हैं जिससे कई संक्रमित लोग छूट जाते हैं।
मेट्रो शुरू होने के बाद मामले और बढ़ने की आशंका
दिल्ली में अगले हफ्ते की शुरूआत से मेट्रो सेवाएं भी शुरू होनी हैं और इससे मामलों में और वृद्धि आने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा बार्स को भी अपनी सेवाएं फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी गई है और इन गतिविधियों के कारण मामले बढ़ना लगभग तय है। स्थिति से मुकाबला करने के लिए दिल्ली सरकार ने रोजाना होने वाले टेस्टों की संख्या 40,000 करने का ऐलान किया है, ताकि मामले जल्दी पकड़ में आएं।
मृत्यु दर में गिरावट तो रिकवरी रेट लगभग 90 प्रतिशत
अगर कुल मामलों की बात करें तो दिल्ली में अब तक 1,82,306 लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया जा चुका है, वहीं 4,500 की मौत हुई है। शहर की मृत्यु दर गिरकर 2.46 प्रतिशत पर आ गई है, वहीं रिकवरी रेट लगभग 90 प्रतिशत है।