छात्रों से मारपीट से लेकर 'देश विरोधी' नारे लगने तक, कब-कब चर्चा में रही JNU?
क्या है खबर?
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) भारत की अग्रणी यूनिवर्सिटी है और शिक्षण और शोध के लिए विश्व प्रसिद्ध केंद्र है।
2017 में राष्ट्रपति ने JNU को सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी का पुरस्कार दिया था।
JNU बौद्धिक रूप से बेचैन, संतुष्ट न होने वाले जिज्ञासु और मानसिक रूप से कठोर लोगों के लिए ऐसा स्थान है जो उन्हें शांति के बीच आगे बढने का मौका देता है।
ये सभी बातें JNU की वेबसाइट पर यूनिवर्सिटी का परिचय देने के लिए लिखी गई हैं।
ताजा मामला
अब यूनिवर्सिटी चर्चा में क्यों हैं?
बीते रविवार को मास्क पहने कई गुंडों ने यूनिवर्सिटी में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की। इन्होंने हॉस्टलों में घुसकर तोड़फोड़ की।
छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी निशाना बनाया गया। मारपीट में कई छात्र गंभीर रूप से भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है।
यूनिवर्सिटी में मारपीट के लगभग समानांतर कैंपस के बाहर भीड़ 'गोली मारने' का नारा लगाती रही।
आरोप है कि यह सब मूकदर्शक बनी पुलिस की मौजूदगी में हो रहा था।
जानकारी
JNU से पढ़े हैं जयशंकर और सीतारमण
मौजूदा सरकार में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण JNU से पढ़े हैं। पिछले साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत बनर्जी और नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत JNU के छात्र रहे हैं।
विवाद
पहले कब-कब चर्चा में रही JNU
जब देश की बेहतरीन यूनिवर्सिटी की बात आती है तो JNU की हमेशा मिसाल दी जाती है।
देश के कई बड़े नेता, बड़े मंत्री, बड़े अफसर, बुद्धिजीवी JNU से पढ़कर निकले हैं।
इन सबसे इतर JNU पिछले कुछ सालों से लगातार चर्चा में रही है। सरकार के समर्थक इस यूनिवर्सिटी को 'नक्सवाद का अड्डा' तक करार दे चुके हैं।
आइये, जानते हैं कि मोदी सरकार आने के बाद यह यूनिवर्सिटी कब-कब चर्चा का मुद्दा बनी।
सुर्खियां
फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन
नवंबर 2019 में JNU प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी का ऐलान किया था। इसके बाद एक सीटर कमरे का मासिक किराया 20 रुपए से बढ़कर 600 रुपए हो गया था। इसके अलावा बाकी शुल्क भी बढ़ाए गए थे।
फीस वृद्धि खिलाफ JNU के छात्र सड़कों पर उतर आए थे। छात्रों ने फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग को लेकर संसद मार्च किया था, जिस दौरान पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं।
नजीब अहमद
आज तक नहीं मिला है JNU का लापता छात्र
अक्टूबर 2016 में JNU का छात्र नजीब अहमद रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। दिल्ली पुलिस ने केस रजिस्टर कर लंबे समय तक नजीब की तलाश की, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं लगा।
नजीब की तलाश CBI को सौंपी गई। CBI ने स्पेशल टीमें बनाकर तलाश करने की कोशिश की थी, लेकिन उनका पता नहीं चला।
बाद में CBI ने पटियाला हाउस कोर्ट में इस केस की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी।
नारे लगाने की घटना
2016 की घटना ने बदली JNU की छवि
फरवरी, 2016 में यूनिवर्सिटी में एक विरोध प्रदर्शन हुआ था। आरोप लगे कि प्रदर्शनकारियों ने भारत-विरोधी नारे लगाए।
कई मीडिया रिपोर्ट्स में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे दिखाए गए। हालांकि, पुलिस अभी तक देश विरोधी नारे लगाने वाले लोगों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
इस घटना के बाद कुछ लोगों के लिए यूनिवर्सिटी की छवि पूरी तरह बदल गई।
लोगों में मीडिया के एक धड़े के जरिए यह धारणा बना दी गई कि यहां केवल 'देश विरोधी' लोग पढ़ते हैं।
जानकारी
VC ने की थी कैंपस में टैंक लगाने की मांग
इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी के माहौल को लेकर खूब चर्चा हुई थी। यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर जगदेश कुमार ने कैंपस के अंदर सेना से आर्मी टैंकर लगाने की मांग की थी ताकि छात्रों में देश प्रेम की भावना बढ़ सके।
JNU
UGC का घेराव भी बना था सुर्खियां
अक्टूबर, 2015 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने नॉन-नेट रिसर्च फेलोशिप खत्म कर दी थी।
यह फेलोशिप सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में एमफिल और पीएचडी में एडमिशन लेने वाले छात्रों को मिलती है।
इसके विरोध में JNU छात्र संघ ने Occupy UGC चलाया था। JNU छात्र संघ ने दूसरे छात्र संघों के साथ मिलकर इस आंदोलन में कई महीनों तक UGC मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। यह आंदोलन काफी सुर्खियों में रहा था।