अगले महीने से भारत आ सकती है जॉनसन एंड जॉनसन की एक खुराक वाली वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की कोरोना वायरस वैक्सीन जेनसेन अगले महीने भारत आ सकती है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थेकर प्रोवाइडर (इंडिया) इसे लेकर कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है। बताया जा रहा है कि कंपनी यूरोपीय संघ में अपने रिजर्व से वैक्सीन भारत भेजेगी। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर देश के 10,000 छोटे-बड़े अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करता है और इसने जॉनसन एंड जॉनसन से उसकी एक खुराक वाली वैक्सीन 10 करोड़ खुराकें खरीदने की इच्छा जताई है।
भारत में क्या होगी जेनसेन की कीमत?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच वैक्सीन आपूर्ति को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई है और अगले महीने कुछ हजार खुराकों के साथ पहली खेप भारत आ सकती है। कंपनी ने इसकी लागत 25 डॉलर (लगभग 1,860 रुपये) बताई है। अगर जेनसेन जुलाई में भारत आती है तो यहां इस्तेमाल होने वाली पहली अमेरिकी वैक्सीन बन सकती है। यह वैक्सीन गंभीर बीमार या अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 85 फीसदी प्रभावी साबित हुई है।
एक खुराक वाली चंद वैक्सीनों में शामिल है जेनसेन
जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन एक खुराक वाली चुनिंदा वैक्सीनों में शामिल है। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए इस वैक्सीन की एक ही खुराक काफी है और दूसरी की जरूरत नहीं पड़ती। अमेरिका, यूरोपीय संघ, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में इस वैक्सीन को आपात उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है और इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। अब तक के ट्रायल में यह वैक्सीन 66 फीसदी प्रभावी पाई गई है।
कंपनी ने अप्रैल में की थी सरकार से बातचीत
जॉनसन एंड जॉनसन ने अप्रैल में भारत में अपनी वैक्सीन के लिए स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल करने की मंजूरी मांगी थी। तब कंपनी ने कहा था कि वह ब्रिजिंग क्लिनिकल ट्रायल को शुरू करने के लिए भारत सरकार के साथ चर्चा कर रही है। बता दें, ब्रिजिंग ट्रायल में नियामक संस्था किसी भी वैक्सीन की सुरक्षा और इम्युनिटी की जांच करने के लिए कम संख्या में स्थानीय वॉलेंटियरों पर वैक्सीन के ट्रायल को कहती है।
अब बदल गए हैं नियम
महामारी की दूसरी लहर और वैक्सीन की कमी को देखते हुए भारत ने इस महीने की शुरुआत में कई शर्तों को आसान कर दिया था। इसके बाद विदेशी कंपनियों के लिए भारत में वैक्सीन लॉन्च करना आसान हो गया है। अब विदेशी कंपनियों के लिए भारत में वैक्सीन लॉन्च से पहले जरूरी ब्रिजिंग ट्रायल जरूरी नहीं है और अगर किसी वैक्सीन को कहीं मंजूरी मिली हुई है तो भारत में उसकी गुणवत्ता की जांच भी नहीं करवानी होगी।
बायोलॉजिकल ई के साथ काम कर रही जॉनसन एंड जॉनसन
बीते महीने जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए हैदराबाद स्थित भारतीय कंपनी बायोलॉजिकल ई के साथ हाथ मिलाया था। उस वक्त अमेरिकी कंपनी ने इस साझेदारी पर बयान जारी कर कहा था, "जॉनसन एंड जॉनसन कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने के लिए बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के साथ काम कर रही है। हमें उम्मीद है कि बायोलॉजिक ई हमारे वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति नेटवर्क का एक अहम हिस्सा होगी।"
भारत में वैक्सीनेशन अभियान ने पकड़ी रफ्तार
एक समय वैक्सीन की कमी के चलते धीमा पड़ चुका भारत का वैक्सीनेशन अभियान फिर रफ्तार पकड़ रहा है। 21 जून से नई वैक्सीन नीति लागू होने के बाद से देश में रोजाना 50 लाख से अधिक खुराकें लगाई जा रही हैं। भारत में अब तक कुल 31,50,45,926 खुराके दीं गई हैं, जिनमें से बीते दिन 61,19,169 खुराकें लगाई गईं। सरकार ने दिसंबर तक देश के हर नागरिक को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है।