भारत के पांच सबसे प्रतिष्ठित पुस्तकालय, एक बार जरूर देखें
क्या है खबर?
अगर आपको किताबें पढ़ना पसंद है और अपनी पसंदीदा किताबों को पढ़ने के लिए आप एक शांत जगह की तलाश में हैं तो इसके लिए पुस्तकालय से बेहतर क्या हो सकता है?
बता दें कि देश में कई पुस्तकालय हैं, जो न सिर्फ आपको किताबों के विस्तृत संग्रह से बल्कि अपनी दिलचस्प वास्तुकला से भी हैरान कर देंगे।
चलिए फिर आज हम आपको भारत के पांच प्रतिष्ठित पुस्तकालयों के बारे में बताते हैं, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।
#1
द नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया
1836 में स्थापित द नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया कोलकाता में स्थित है और यह देश के सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक है।
30 एकड़ के क्षेत्र में फैले इस पुस्तकालय ने भारत के स्वतंत्र होने से पहले बंगाल के उपराज्यपाल के आधिकारिक निवास के रूप में कार्य किया।
इस विशाल पुस्तकालय में 22 लाख से अधिक पुस्तकें, पत्रिकाओं, पांडुलिपियों और 86,000 से अधिक मानचित्र हैं।
अगर कभी आप कोलकाता घूमने जाएं तो इस पुस्तकालय का रुख जरूर करें।
#2
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी
दिल्ली में स्थित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को 1951 में भारत सरकार द्वारा यूनेस्को परियोजना के रूप में शुरू किया गया था।
इस पुस्तकालय में विभिन्न भाषाओं में लगभग 18 लाख पुस्तकों का संग्रह है। अपने विंग के तहत 36 शाखाओं के साथ इस पुस्तकालय में महत्वपूर्ण मुद्दों पर समाचार पत्र अभिलेखागार, पत्रिकाएं, पुरानी तस्वीरों का संग्रह और डीवीडी संग्रह भी हैं।
#3
स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी
नवाब इमाद-उल-मुल्क द्वारा वर्ष 1891 में निर्मित स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी हैदराबाद के तेलंगाना में स्थित है।
72,247 वर्ग गज के क्षेत्र में फैले इस पुस्तकालय को 1998 में देश की विरासत का दर्जा दिया गया था।
इस पुस्तकालय में पांच लाख से अधिक पुस्तकें हैं, जिनमें से 36,000 दुर्लभ पुस्तकों का डिजिटलीकरण किया गया है।
इस पुस्तकालय में अरबी, उर्दू और फारसी पांडुलिपियों और पत्रिकाओं का दुर्लभ संग्रह भी है।
#4
कृष्णदास शामा स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी
भारत के सबसे पुराने सार्वजनिक पुस्तकालयों में से एक कृष्णदास शमा स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी गोवा में स्थित है, जिसकी स्थापना 1832 में वाइसराय डोम मैनुअल डी पुर्तगाल ई कास्त्रो ने की थी।
इसे 1897 में राष्ट्रीय पुस्तकालय का दर्जा दिया गया था। इस पुस्तकालय में 40,000 से अधिक प्री-लाइब्रेशन संग्रह और विभिन्न भाषाओं में 18 लाख से अधिक पुस्तकें हैं।
यह पुस्तकालय डिजीटल भी है और माना जाता है कि यह RFID प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाला एकमात्र पुस्तकालय है।
#5
सरस्वती महल लाइब्रेरी
तमिलनाडु में तंजावुर पैलेस के परिसर के भीतर स्थित सरस्वती महल लाइब्रेरी 1535-1675 ईस्वी के बीच तंजावुर के नायक राजाओं के शासन के दौरान अस्तित्व में आया था।
इस पुस्तकालय में लगभग 60,000 पांडुलिपियां हैं, जिनमें से 39,300 संस्कृत में हैं।
इसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं में अन्य ताड़-पत्ते की पांडुलिपियां भी हैं, जिन्हें माइक्रोफिल्म के रूप में संरक्षित किया गया है।