उत्तराखंड: जोशीमठ से 600 परिवारों को तत्काल किया जाएगा शिफ्ट, आज मुख्यमंत्री करेंगे दौरा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को जमीन में धंसते जोशीमठ से प्रभावित घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को तत्काल शिफ्ट करने के आदेश दिये हैं, भारी दरारें पड़ने के कारण इनके ढहने का खतरा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोशीमठ शहर की समीक्षा बैठक करते हुए अधिकारियों को यह निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा, "भू-धंसाव के दृष्टिगत नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, जरूरत पड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट भी किया जाएगा।"
क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड के चमोली जिले में लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ में जमीन धंस रही है और इसके कारण कई मकानों और सड़कों में दरारें आ गई हैं। अभी तक कुल 561 मकानों में दरार आने की खबर है, लेकिन यह संख्या हर रोज बढ़ रही है। मकान धंसने के कारण इलाके के लोग दहशत में हैं और उन्हें डर है कि उनके मकान कभी भी गिर सकते हैं।
एयरलिफ्ट की व्यवस्था सुनिश्चित करें अधिकारी- मुख्यमंत्री
आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ जाकर प्रभावित लोगों से मुलाकात और अधिकारियों के साथ यहां एक बैठक करेंगे। धामी ने कहा कि गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार और सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत कुमार सिन्हा विशेषज्ञों की एक टीम के साथ स्थिति पर लगातार नजर रखने के लिए जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने अधिकारियों को यहां पुनर्वास कार्यों में तेजी, चिकित्सा उपचार की सुविधा और लोगों को एयरलिफ्ट करने की भी व्यवस्था भी सुनिश्चित करने को कहा है।
नागरिकों का जीवन बचाना सबसे महत्वपूर्ण- मुख्यमंत्री
धामी ने कहा, "जोशीमठ के लिए एक तत्काल कार्य योजना के साथ-साथ एक दीर्घकालिक कार्य योजना पर विचार किया जा रहा है और इन दोनों पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, "नागरिकों का जीवन और सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है, जिसके लिए आपदा प्रबंधन एवं जिला प्रशासन की टीम राहत एवं बचाव कार्य में पूरी तत्परता से जुटी है और अधिकारियो की ग्राउंड की टीम संभावित खतरे वाले क्षेत्र की पहचान कर रही है।"
तत्परता से राहत बचाव कार्य में जुटी आपदा प्रबंधन की टीमें- मुख्यमंत्री
सिंगधार वार्ड में बीते दिन ढह गया मंदिर
जोशीमठ के सिंगधार वार्ड में शुक्रवार शाम को दरार आने के कारण एक मंदिर ढह गया था, इसके कारण शहरवासियों में एक बड़ी आपदा की आशंका बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने कहा कि गनीयत ये रही कि इस घटना के वक्त कोई मंदिर में मौजूद नहीं था, 15 दिन पहले बड़ी दरारें पड़ने के कारण इसे छोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा कि यहां अभी तक सैकड़ों मकानों में भारी दरारें आ गई हैं, जबकि कई धंस गए हैं।
मारवाड़ी क्षेत्र में लगातार जमीन से हो रहा पानी का रिसाव
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा विष्णु प्रयाग जल विद्युत परियोजना के कर्मचारियों के लिए बनी एक कॉलोनी में रहने वाले 60 परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है। जल विद्युत परियोजना के निदेशक पंकज चौहान ने बताया कि मारवाड़ी क्षेत्र में तीन दिन पहले जमीन से पानी का रिसाव होना शुरू हुआ था, जो लगातार जारी है और यह इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित है।
जोशीमठ में क्यों धंस रही है जमीन?
रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ समय में जोशीमठ के आसपास के इलाके में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके चलते घरों की बुनियाद कमजोर हो गई है और पानी का रिसाव हो रहा है। यह इलाका बेहद संवेदनशील भी है, इसलिए यहां बड़े स्तर पर निर्माण को भी जमीन धंसने का एक संभावित कारण माना जा रहा है। इसका सही-सही कारण पता लगाने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है, जो इलाके का निरीक्षण कर रही है।