क्या है यूनिटीसैट मिशन, जिसमें लॉन्च किए जाएंगे छात्रों के बनाए 75 सैटेलाइट?
क्या है खबर?
पिछले कुछ समय से स्पेसएक्स, अमेजन और वनवेब जैसी निजी कंपनियां कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेज रही हैं। भारत भी इस रेस में बहुत पीछे नहीं है और इसी साल लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 75 सैटेलाइट लॉन्च करेगा।
इसकी खास बात यह है कि इन सभी सैटेलाइट्स को देशभर के अलग-अलग संस्थानों के छात्रों ने तैयार किया है और इस मिशन को यूनिटिसैट (UNITYsat) नाम दिया गया है।
जानकारी
आजादी के 75 साल पूरे होने पर लॉन्च होगा मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने संबोधन में इस मिशन का जिक्र करते हुए कहा था कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा तैयार किए गए 75 सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, IIT कानपुर, IIT बॉम्बे और 11 दूसरे संस्थानों के छात्रों की तरफ से तैयार किए गए इन सैटेलाइट को अंतरिक्ष में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया जा रहा है।
यूनिटीसैट
1,000 से अधिक छात्रों ने दिखाई मिशन में दिलचस्पी
इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी अकादमिक मामलों के डीन डॉ बी प्रिस्टली शान ने इंडिया टुडे को बताया कि देशभर के 1,000 से अधिक छात्रों ने इसमें अपनी रूचि दिखाई है।
उन्होंने कहा कि ये सैटेलाइट एक तरह के तारामंडल का निर्माण करेंगे और आपस में सूचनाएं आदान-प्रदान करने के बाद आंकड़े धरती पर भेजेंगे। इससे यह पता लगाया जाएगा कि कैसे सैटेलाइट के बीच के संचार को बेहतर किया जा सकता है।
यूनिटीसैट
तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप
इस मिशन को इस साल स्वतंत्रता दिवस से पहले लॉन्च किया जा सकता है। इसके लिए जोरों से तैयारियां चल रही हैं।
शान ने बताया कि अभी केवल सैटेलाइट की टेस्टिंग करना बाकी है। इसमें सैटेलाइट को अलग-अलग माहौल और चुनौतियों के बीच परखा जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के केंद्रों में इन सैटेलाइट्स की टेस्टिंग की जाएगी।
लॉन्च होने के 2-4 साल के समय तक ये सैटेलाइट्स धरती की निचली कक्षा में सक्रिय रहेंगे।
चिंता
अंतरिक्ष में जमा कचरे पर जताई जा रही चिंता
मिशन की लॉन्चिंग के साथ ही अंतरिक्ष में जमा हो रहे कचरे को लेकर भी चिंता जताई जा रही है।
दरअसल, पिछले सालों में जो सैटेलाइट लॉन्च किए गए हैं, वो अंतरिक्ष में घूम रहे हैं और हर नए सैटेलाइट के साथ वहां कचरे में बढ़ोतरी हो रही है।
हाल ही में चीन ने बताया था कि स्टारलिंक के दो सैटेलाइट उसके अंतरिक्ष स्टेशन से टकराते-टकराते बचे हैं।
यूनिटीसैट मिशन में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है।
जानकारी
समाधान पर हो रहा काम
डॉ शान ने बताया, "शोध समूह अंतरिक्ष से कचरा हटाने पर काम कर रहे हैं। हम भी ऐसा मटैरियल बना रहे हैं, जो सैटेलाइट का जीवनकाल पूरा होने के बाद अपने आप नष्ट हो जाएगा। इसके अलावा दो नई चीजों पर काम चल रहा है। इनमें से पहला अंतरिक्ष में कचरे का पता लगाना और दूसरा उस कचरे को पकड़ना है।"
बता दें कि इस मिशन के साथ भारत अंतरिक्ष की रेस में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।