कोरोना वायरस: क्या दुनिया के मुकाबले भारत में स्थिति कम गंभीर है?
दुनियाभर में महामारी बन चुके कोरोना वायरस (COVID-19) का कहर बढ़ता जा रहा है। 7 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और 30,000 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अमेरिका, इटली और चीन जैसे देश इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जबकि भारत में अब तक 1,100 से ज्यादा मामले मिले हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत की स्थिति बाकी देशों की तुलना में कम गंभीर है?
आंकड़ों पर गौर करने की जरूरत
भारत सरकार और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा समर्थित एक रिसर्च पेपर में यह दावा किया गया है कि अनुवांशिक गुणों के कारण भारतीय लोग इस वायरस के प्रति ज्यादा मजबूत हैं। भारतीयों में एक खास रिबॉन्यूक्लिक एसिड (RNA) पाया जाता है जो कोरोना वायरस के खतरे को कम कर देता है। हालांकि, इससे इतर इस महामारी से जुड़े आंकड़े देखने की भी जरूरत है कि दुनिया के मुकाबले भारत की स्थिति क्या है?
1,000 मामले आने तक यह थी मृत्यु दर
30 मार्च रात 9 बजे तक भारत में 1,117 सक्रिय मामले थे, जबकि 32 लोगों की मौत हो चुकी थी। भारत में जब कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 1,000 पहुंची, तब तक 25 लोग जान गंवा चुके थे। यानी भारत में इस महामारी की मृत्यु दर 2.5 प्रतिशत है। इसकी तुलना में 1,000 मामले आने तक अमेरिका में मृत्यु दर 3.6 प्रतिशत, चीन में 3.2 प्रतिशत, इटली में 2.8 प्रतिशत और यूनाइटेेड किंगडम में 1.9 प्रतिशत थी।
दक्षिण कोरिया में सबसे कम रही मृत्यु दर
इन सबके मुकाबले दक्षिण कोरिया बेहतर स्थिति में था। यहां 1,000 मामले सामने आने तक 11 लोगों की मौत हुई थी। यानी यहां मृत्यु दर 1.1 प्रतिशत थी। आज भी यहां यह दर 2 प्रतिशत से काफी कम है।
मामले बढ़ने के साथ बढ़ती गई मृत्यु दर
इटली, इंग्लैंड और चीन में 1,000 मामले सामने आने तक मृत्यु दर भले ही कम रही हो, लेकिन लगातार मामले सामने आने के साथ-साथ यह दर भी बढ़ती चली गई। चीन में आज इस महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों की मृत्यु दर 4 प्रतिशत है। इसी तरह इटली में यह 11 प्रतिशत और इंग्लैंड में 6.2 प्रतिशत है। इटली कोरोना वायरस से दुनिया का सबसे प्रभावित देश है। यहां 10,000 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।
अमेरिका और दक्षिण कोरिया में नहीं बढ़ी मृत्यु दर
हालांकि, अमेरिका में मामले बढ़ने के साथ मृत्यु दर में कमी आई है। यहां यह दर शुरुआती 3.6 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत हो गई है। दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया में मृत्यु दर लगातार एक जैसी बनी हुई है और इसमें मामले बढ़ने के साथ इजाफा नहीं देखा गया है। जानकार इसके पीछे ज्यादा लोगों की टेस्टिंग को वजह मानते हैं। अब शुरुआती लक्षणों के आधार पर लोगों में संक्रमण का पता चल जाता है।
स्थिति नाजुक, लगातार बदल रहे आंकड़े
पूरी दुनिया की बात करें तो कोरोना वायरस से संक्रमित कुल लोगों में से 4.3 प्रतिशत लोगों की मौत हो रही है। हालांकि, यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि स्थिति बेहद नाजुक है और ये आंकड़े लगातार बदल रहे हैं।
यह है भारत का हाल
भारत में कोरोना वायरस के कारण पहली मौत 12 मार्च को कर्नाटक में हुई थी। उसके बाद के 20 से कम दिनों में यहां 1,100 मामले सामने आ चुके हैं और 30 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। भारत में भी मामले बाकी देशों की तरह आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, यहां इनके बढ़ने की गति कम है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका जैसे देशों में नए मामलों की संख्या में एकदम उछाल आया था।
दूसरे देशों के मुकाबले भारत में हो रहे कम टेस्ट
भारत में लगातार तीन दिनों से 100 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि भारत में कम मामले सामने आने की वजह कम लोगों के टेस्ट किए जाना है। इंडिया टूडे के मुताबिक, भारत में 10 लाख में से महज 19 लोगों के टेस्ट हो रहे हैं। भारत में अब तक लगभग 30,000 लोगों के टेस्ट हुए हैं, जबकि अमेरिका यह संख्या 5.5 लाख और दक्षिण कोरिया में 4 लाख से ज्यादा है।
भारत में टेस्ट का दायरा बढ़ाने की सलाह दे रहे विशेषज्ञ
कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ने के बाद भारत में नए मामलों की संख्या में तेजी से उछाल आ सकता है। टेस्टिंग किट की कमी से जूझ रही सरकार इनका स्टॉक बढ़ाने की कोशिश में लगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 30 मार्च तक देश में कोरोना वायरस के 1,117 सक्रिय मामले थे और 32 लोगों की मौत हो चुकी थी, जबकि 101 लोग इससे ठीक होकर घर लौट चुके थे।