ज्यादा तापमान और उमस में कम हो सकती है कोरोना वायरस के संक्रमण की गति- शोध
गरम और उमस भरा मौसम कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण को कम कर सकता है। एक स्टडी में कहा गया है कि एशियाई देशों में मानसून आने की स्थिति में इस खतरनाक वायरस का संक्रमण कम हो सकता है, जिसने भारत में 10 से ज्यादा और दुनियाभर में 20,000 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि यह वायरस दुनिया के 190 देशों तक फैल चुका है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
अमेरिका स्थित MIT में किया गया शोध
दुनियाभर में 22 मार्च तक संक्रमण का आंकड़ों का विश्लेषण कर मैसाचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के दो शोधकर्ताओं ने बताया कि इस महामारी के मामलों का तापमान और उमस से सीधा संबंध हैं। शोध में पता चला कि 90 प्रतिशत मामले उन देशों में सामने आए हैं जहां तापमान 3 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच था और अब्सल्यूट ह्यूमिडिटी 4 और 9g/m3 के बीच थी। अब्सल्यूट ह्यूमिडिटी प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में जल वाष्प की माप होता है।
शोध में क्या कहा गया है?
इन शोधकर्ताओं में से एक युसुफ जमील ले बताया कि तापमान, उमस और संक्रमण का संबंध लगातार बढ़ता जा रहा है। तापमान और वायरस के संक्रमण का संबंध कमजोर दिख रहा है क्योंकि ब्राजील, भारत और मलेशिया जैसे देशों से भी मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब्सल्यूट ह्यूमिडिटी एक महत्वूर्ण कारक हो सकती है, लेकिन इसे प्रयोगशाला में मापने के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है।
पहले के शोध में क्या कहा गया था?
COVID-19 बीमारी Sars-CoV-2 नामक वायरस से होती है। यह 2003 में फैले SARS-Cov से जुड़ा है। SARS-Cov अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह पाया था। इससे पहले किए गए दो शोध में पता चला था कि कोरोना वायरस के संक्रमण पर मौसम का असर पड़ता है और यह ठंड और सूखे मौसम में तेजी से फैलता है। ये शोध चीन और स्पेन, पुर्तगाल और फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने किए थे।
केवल तापमान में बढ़ोतरी काफी नहीं- शोध
इससे हटकर MIT का शोध यह कहता है कि अकेले तापमान से कोरोना के संक्रमण को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए उमस भी एक महत्वपूर्ण कारक है। उमस के महत्वपूर्ण होने के कारण अमेरिका और यूरोप में मौसम की वजह से इस वायरस को रोक पाना मुश्किल नजर आ रहा है क्योंकि यहां तापमान तो बढ़ेगा लेकिन मौसम सूखा रहेगा। अगले कुछ महीनों तक यही हाल भारत का रहने वाला है।
गरम देशों में सामने आए कम मामले
शोध में कहा गया है, 'हम मानते हैं कि पिछले सप्ताह 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले इलाकों में सामने आए 10,000 मामले ट्रांसमिशन की वजह से नहीं आए हैं। अभी तक के मौजूद आंकड़ों के अनुमान के आधार पर कह सकते हैं कि उष्णकटिबंधीय देशों में कम मामले सामने आने की वजह गरम और उमस भरा मौसम रहा है, जिसके कारण वायरस के संक्रमण की गति कम हो जाती है। बाकी वायरस में भी ऐसा देखा गया है।"
भारत के बारे में क्या कहता है शोध?
भारत के बारे में पूछे जाने पर जमील ने कहा कि ऐसी संभावना है कि मानसून आने के बाद वायरस का संक्रमण कम हो सकता है, लेकिन सरकारों को ऐसी संभावनाओं पर नहीं टिकना चाहिए। सरकार को यह मानकर कदम उठाने चाहिए कि आने वाले दिनों में इस महामारी के संक्रमण के मामले कम होने वाले नहीं हैं। बता दें, भारत में 500 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 10 से ज्यादा की मौत हो चुकी है।