बुलेट ट्रेन से भी तेज दौड़ने वाली ट्रेनों के लिए हाइपरलूप ट्रैक इतना हुआ तैयार
क्या है खबर?
देश में जल्द ही तेज रफ्तार यातायात में हाइपरलूप ट्रैक भी शामिल हो जाएगा, जिसमें ट्रेनें बुलेट ट्रेन से भी तेज रफ्तार में दौड़ सकेंगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक वीडियो साझा कर जानकारी दी है कि 422 मीटर लंबा हाइपरलूप ट्रैक का काम पूरा हो चुका है, जिसे रेलवे ने IIT-मद्रास के साथ मिलकर तैयार किया है।
यह ट्रैक IIT-मद्रास परिसर में ही बनाया गया है, जिसके ट्रैक का परीक्षण चल रहा है।
तकनीक
तकनीक को बढ़ावा देने के लिए रेलवे करेगा आर्थिक मदद
रेल मंत्री ने बताया कि हाइपरलूप तकनीक को बढ़ावा देने के लिए और आगे वाणिज्यिक उपयोग में लाने के लिए रेलवे IIT-मद्रास को आर्थिक मदद करेगा।
उन्होंने बताया कि यह परियोजना पूरी हो जाएगी तो वे वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी जगह चिन्हित करेंगे और 40 से 50 किलोमीटर के दायरे में माल वाहक यातायात के लिए उपयोग करेंगे।
जल्द ही ट्रेन के ट्रैक पर ट्रायल रन शुरू कर दिया जाएगा।
ट्विटर पोस्ट
हाइपरलूप ट्रैक तैयार
🚨 India's first hyperloop test track developed at IIT Madras. pic.twitter.com/h3pdDSVqoq
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) February 25, 2025
तकनीक
क्या है हाइपरलूप तकनीक?
हाइपरलूप ट्रैक को ऐसे समझें कि इससे भविष्य में भारत में तेज गति से चलने वाले परिवहन को बल मिलेगा।
यह सुझाव सबसे पहले अरबपति एलन मस्क ने 2013 में दिया था। हाइपरलूप ऐसी अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली है, जो वैक्यूम ट्यूब में कैप्सूल से काफी तेज रफ्तार से यात्रा की संभावना पैदा करती है।
पहले वर्जिन हाइपरलूप का परीक्षण 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 161 किलोमीटर प्रतिघंटे के साथ 500 मीटर ट्रैक पर हुआ था।
खासियत
मिनटों में तय करेंगे लंबी दूरी
हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर अभी 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से परीक्षण किया गया है, जबकि इसे आगे बढ़ाकर 600 किलोमीटर से लेकर 1,100 किलोमीटर प्रतिघंटे तक ले जाने की योजना है।
रेल मंत्रालय ने इसके लिए 8.34 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है। परियोजना सफल हुई तो चेन्नई-बेंगलुरु तक 350 किलोमीटर का सफर 15 मिनट और दिल्ली-जयपुर का सफर 30 मिनट में तय होगा।
हाइपरलूप पर पॉड चलेगी, जो एक बार में 28 लोगों को ले जाने में सक्षम होगा।
काम
रेलवे के साथ ये मिलकर कर रहे काम
यह प्रोजेक्टर IIT मद्रास का है, जो थाईयूर स्थित डिस्कवरी कैम्पस में चल रहा है। इसमें भारतीय रेलवे, IIT मद्रास की आविष्कार हाइपरलूप टीम और स्टार्टअप TuTr हाइपरलूप काम कर रहे हैं।
यह प्रोजेक्ट 2 चरणों में तैयार होगा, जिसमें 75 छात्र काम कर रहे हैं। पहले चरण में 11.5 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण होगा।
जरूरी परीक्षण के बाद बाकी के 100 किलोमीटर के मार्ग को दूसरे चरण में कवर किया जाएगा।