लाल सागर में हमले: भारत के निर्यात में 25,000 अरब की गिरावट का अनुमान, युद्धपोत तैनात
यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोही इजरायल-हमास युद्ध के शुरू होने के बाद से लाल सागर और अरब सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इस बढ़ते खतरे के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत के कुल निर्यात में लगभग 2,500 अरब रुपये की गिरावट आ सकती है। इसे देखते हुए भारत ने हूती विद्रोहियों और समुद्री डाकुओं के दोहरे खतरे से निपनटे के लिए अरब सागर में समुद्री कमांडोज के साथ 10 से अधिक युद्धपोत तैनात किए हैं।
लाल सागर में बढ़ते खतरे से निर्यात में कितना गिरावट
दिल्ली स्थित थिंकटैंक 'विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (RIS)' के आंकलन के अनुसार, लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर बढ़ते खतरे के कारण भारत के सालाना निर्यात में लगभग 6-7 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। पिछले वर्ष कुल निर्यात लगभग 37,478 अरब रुपये था। थिंकटैंक के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने बताया, "लाल सागर में संकट वास्तव में भारत के व्यापार को प्रभावित करेगा।" हालांकि, सरकार ने निर्यात में गिरावट का कोई अनुमान जारी नहीं किया है।
स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों में आई कमी
दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रोकर की इकाई क्लार्कसन रिसर्च सर्विसेज लिमिटेड के अनुसार, लाल सागर में बढ़ते खतरों के कारण दिसंबर, 2023 की पहले 15 दिन की तुलना में स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है। इकाई के अनुसार, 3 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में जहाजों के जरिए 25 लाख टन माल इस रास्ते से निकला, जबकि पिछले महीने की शुरुआत में यह संख्या 40 लाख टन थी।
इस मार्ग से किन चीजों का निर्यात करता है भारत?
लाल सागर क्षेत्र में स्वेज नहर की ओर जाने वाला मार्ग भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूरोप, अमेरिका के पूर्वी तट, मध्य-पूर्व और अफ्रीकी देशों के लिए समुद्री व्यापार का प्राथमिक मार्ग है। भारत आमतौर पर इसके जरिए पेट्रोलियम उत्पादों, अनाज और रसायनों सहित विभिन्न प्रकार के सामानों का निर्यात करता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार जहाजों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के लिए निर्यात आयोग परिषदों के साथ बातचीत कर रही है।
अरब सागर में भी बढ़ा जहाजों पर खतरा, भारत ने तैनात किये युद्धपोत
पूरी दुनिया का ध्यान लाल सागर और हूती विद्रोहियों पर होने का फायदा होते हुए समुद्री लुटेरों ने भी अरब सागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। दोनों खतरों को देखते हुए भारत ने 10 से अधिक युद्धपोत तैनात किए हैं, जो उत्तर, मध्य अरब सागर से लेकर अदन की खाड़ी तक के इलाके की निगरानी करेंगे। भारत के इस कदम का उद्देश्य अरब सागर में स्थिति को स्थिर करना और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है।
भारत ने कौन से युद्धपोत किए तैनात?
IANS कोलकाता, IANS कोच्चि, IANS चेन्नई और IANS मोर्मुगाओ जैसे गाइडेड मिसाइल विध्वंसकों के साथ-साथ IANS तलवार और IANS तरकश जैसे बहुउद्देशीय युद्धपोत तैनात किए गए हैं। इसके अलावा नौसेना और तटरक्षक बल भी देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र की निगरानी मिलकर कर रहे हैं।
अमेरिका के ऑपरेशन में शामिल नहीं हुआ है भारत
खास बात यह कि भारत लाल सागर में अमेरिका की अगुवाई वाले 'ऑपरेशन गार्डियन' में शामिल नहीं हुआ है और उसने अपने स्तर पर यह कदम उठाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया को वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग से गुजरने वाले वाणिज्यिक जहाजों पर डाकुओं और ड्रोन हमले का खतरा बढ़ने से मालभाड़े की दर पहले ही बढ़ गई है, ऐसे में नौसेना अरब सागर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना महत्वपूर्ण हो गया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
5 जनवरी को IANS चेन्नई और कमांडोज ने अरब सागर में लाइबेरिया के झंडे वाले वाणिज्यिक जहाज के अपहरण के समुद्री लुटेरों के प्रयास को नाकाम कर दिया था। इसमें 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को बचाया गया था।