भारत ने म्यांमार से मुक्त आवाजाही रोकी, गृह मंत्री अमित शाह ने रद्द किया समझौता
म्यांमार में जारी गृह युद्ध के बीच भारत ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने म्यांमार और भारत के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) को खत्म कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट इसकी जानकारी दी। बता दें कि इससे पहले गृह मंत्री ने 1,643 किलोमीटर लंबी म्यांमार सीमा पर बाड़ेबंदी करने और सुरक्षा बलों की गश्त के लिए ट्रैक बनाने का ऐलान किया था।
क्या बोले गृह मंत्री?
शाह ने ट्विटर पर कहा, 'गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) को खत्म कर दिया जाए। चूंकि विदेश मंत्रालय फिलहाल इसे खत्म करने की प्रक्रिया में है, इसलिए गृह मंत्रालय ने FMR को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की है।'
क्या था मुक्त आवाजाही व्यवस्था?
मुक्त आवाजाही व्यवस्था से मतलब सीमा के दोनों तरफ रहने वाले लोगों के बीच आवाजाही से है। इसके तहत दोनों तरफ सीमा पर रहने वाले लोगों को बिना अनुमति दूसरे देश के अंदर 16 किलोमीटर तक यात्रा और व्यापार आदि करने की अनुमति है। इसे 2018 में नरेंद्र मोदी की सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के तहत लागू किया गया था। तब भारत-म्यांमार के बीच राजनयिक संबंध अच्छे थे और रोहिंग्या शरणार्थी संकट के बावजूद इसे लागू किया गया था।
हाल ही में शाह ने किया था बाड़ लगाने का ऐलान
कुछ दिन पहले गृह मंत्री ने कहा था कि सरकार म्यांमार से लगने वाली 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने जा रही है। उन्होंने कहा था, "सरकार अभेद्य सीमाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने भारत-म्यांमार के बीच 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया है। बेहतर निगरानी के लिए एक पेट्रोलिंग ट्रैक भी बनाया जाएगा। मणिपुर के मोरेह में 10 किलोमीटर हिस्से में पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है।"
सरकार ने क्यों लिया फैसला?
दरअसल, म्यांमार गृह युद्ध से जूझ रहा है। इस वजह से वहां के सैकड़ों सैनिक और हजारों नागरिक मिजोरम में घुस आए हैं। भारत ने सभी सैनिकों को वापस म्यांमार भेजा है। इसके अलावा आरोप लगते हैं कि FMR का इस्तेमाल अवैध घुसपैठ और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए भी होता है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी राज्य में जारी जातीय हिंसा के लिए म्यांमार से हुई घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया था।
म्यांमार में क्यों हो रही है हिंसा?
म्यांमार में संघर्ष की शुरुआत 2020 में हुए आम चुनावों के बाद हुई थी। इसमें लोकप्रिय नेता आंग सान सू की की पार्टी को जीत मिली थी, लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए तख्तापलट कर दिया। इसके बाद देश में आपातकाल लगा दिया गया। इसके खिलाफ और लोकतंत्र बहाली को लेकर 3 सशस्त्र दल साथ आए और 'ब्रदरहुड अलायंस' नाम से गठबंधन बनाया। अब ये दल सेना से संघर्ष कर रहे हैं।