भारत सरकार पेगासस के जरिए बड़े पत्रकारों को बना रही निशाना, रिपोर्ट में दावा
क्या है खबर?
जासूसी के लिए बने सॉफ्टवेयर पेगासस का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, एमनेस्टी इंटरनेशनल और द वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार अभी भी देश के हाई प्रोफाइल पत्रकारों की पेगासस के जरिए जासूसी कर रही है।
बता दें कि केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी की सरकार पर पहले भी इजरायली सॉफ्टवेयर 'पेगासस' का इस्तेमाल कर जासूसी करने के आरोप लग चुके हैं।
दावा
रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है?
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल और द वाशिंगटन पोस्ट ने एक संयुक्त जांच में कहा कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए हाई-प्रोफाइल पत्रकारों को निशाना बनाया गया है।
एमनेस्टी ने कहा कि द वायर के पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन, पत्रकार रवि नायर द ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) के आनंद मंगनाले को उनके आईफोन पर स्पाइवेयर से निशाना बनाया गया है।
हालांकि, एमनेस्टी को रवि के फोन में जासूसी के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
बयान
एमनेस्टी ने कहा- पत्रकारों के लिए बन रहा प्रतिकूल माहौल
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब के प्रमुख डोनाचा ओ सियरभैल ने कहा, "इन निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत में स्पाइवेयर का दुरुपयोग बेरोकटोक जारी है। भारत में पत्रकार, कार्यकर्ता और विपक्षी राजनेता इस स्पाइवेयर से खुद को नहीं बचा सकते हैं।
उन्होंने कहा, "भारत में पत्रकारों को केवल अपना काम करने के लिए गैरकानूनी निगरानी के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह खतरा पत्रकारों के लिए पहले से ही प्रतिकूल माहौल बना रहा है।"
हैकिंग
एक ही आईडी से हुई 2 पत्रकारों के फोन हैकिंग की कोशिश
रिपोर्ट के अनुसार, वरदराजन को ऐपल से 30 अक्टूबर को हैकिंग से जुड़ी चेतावनी मिली थी। एमनेस्टी ने पाया कि जिन हैकरों ने मंगनाले के फोन में जासूसी करने की कोशिश की, उन्होंने ही वरदराजन के फोन के साथ भी ऐसा ही करने की कोशिश की थी।
दोनों ही मामलों में ऐपल ID natalymarinnova@proton.me का उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति ने ब्लास्टपास भेद्यता का उपयोग किया था।
उपरोक्त आईडी पर जब ईमेल भेजा गया तो कोई जवाब नहीं मिला।
कारण
क्यों निशाना बनाए गए पत्रकार?
रिपोर्ट के अनुसार, वरदराजन ने द वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि वो फिलहाल किसी संवेदनशील स्टोरी पर काम नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नई दिल्ली में एक प्रमुख समाचार प्रकाशक को हिरासत में लिए जाने का विरोध करने के लिए शायद निशाना बनाया गया।
बता दें कि पत्रकार रवि और मंगनाले ने हिंडनबर्ग रिसर्च को लेकर अडाणी समूह से जुड़ी एक स्टोरी लिखी थी, जिसके बाद से वो चर्चा में आए थे।
नाराज
जासूसी की चेतावनी मैसेज देने से ऐपल से नाराज थी भारत सरकार- रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, जब ऐपल ने विपक्षी नेताओं को उनके फोन पर सरकार समर्थित हमले के चेतावनी भरे मैसेज भेजे थे, तब भारत सरकार इससे नाराज हो गई थी।
केंद्र सरकार वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐपल के भारत में प्रतिनिधि को फोन कर कहा था कि कंपनी चेतावनियों के राजनीतिक प्रभाव कम करने में मदद करे।
तब भारत सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि ऐसी चेतावनी दुनिया के कई देशों के लोगों को मिली है।
मामला
ऐपल से मिले हैकिंग मैसेज का मामला क्या है?
31 अक्टूबर को विपक्ष के कई नेताओं को आईफोन पर चेतावनी भरा मैसेज मिला था। इसमें सरकार प्रायोजित हमलवारों द्वारा उनके फोन को हैक करने की कोशिश किए जाने की बात कही गई थी।
विपक्ष के कई नेताओं ने इस चेतावनी का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने उनका फोन हैक करने की कोशिश की है। सरकार ने तब मामले की जांच की बात कही थी और ऐपल ने इस पर सफाई दी थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
पेगासस सबसे उन्नत जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है, जिसे इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी NSO ग्रुप ने तैयार किया। ये केवल फोन नंबर से फोन हैक कर सकता है।
कंपनी केवल सरकारों को ही ये सॉफ्टवेयर बेचती है और 10 से ज्यादा देशों की सरकारें पेगासस का इस्तेमाल कर रही हैं।
यह वैश्विक स्तर पर 2019 में तब सुर्खियों में आया था, जब इसकी मदद से दुनियाभर में नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की बात सामने आई।