प्रदर्शनों का मोदी सरकार पर कोई असर नहीं, नागरिकता कानून को किया लागू
विवादों का केंद्र बने नागरिकता कानून को लागू कर दिया गया है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन निकालते हुए कहा कि ये कानून 10 जनवरी, 2020 से प्रभावी हो जाएगा। सरकार ने इस विवादित कानून को लागू करने का नोटिफिकेशन ऐसे समय पर निकाला है जब पूरे देश में इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं और इसे वापस लिए जाने की मांग लगातार उठ रही है।
क्या लिखा है नोटिफिकेशन में?
शुक्रवार को गृह मंत्रालय के अपर सचिव अनिल मलिक ने आधिकारिक गजट में जो नोटिफिकेशन निकाला है, उसमें लिखा है, "नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार 10 जुलाई, 2020 को वो दिन निश्चित करती है जिस दिन इस कानून के प्रावधान लागू होंगे।" इस नोटिफिकेशन के बाद अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अभी तक तय नहीं हुए नागरिकता कानून के नियम
हालांकि इन लोगों को तत्काल नागरिकता मिलने में दिक्कतें आ सकती हैं क्योंकि गृह मंत्रालय ने अभी तक नागरिकता कानून के नियमों का नोटिफिकेशन नहीं निकाला है। बिना नियमों के लोगों और अधिकारियों के लिए नागरिकता देने की प्रक्रिया पूरी करना संभव नजर नहीं आता।
गृह मंत्रालय को किन चीजों को लेकर नियम बनाने हैं?
नागरिकता कानून के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो भी गैर-मुस्लिम लोग भारत आए होंगे उन्हें तत्काल भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस कानून के तहत आवेदन करने वालों को ये साबित करना होगा कि वो इन तीन देशों से ही आए हैं और 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ गए थे। ये साबित करने के लिए कौन से दस्तावेज मान्य होंगे, गृह मंत्रालय को अपने नियमों में यही तय करना है।
नहीं साबित करनी होगी धार्मिक अत्याचार की बात
हालांकि इन तीनों देशों से आए गैर-मुस्लिम लोगों को ये साबित नहीं करना होगा कि उन्हें वहां धार्मिक अत्याचार का सामना करना पड़ा क्योंकि नागरिकता कानून में कहीं भी धार्मिक अत्याचार का जिक्र नहीं है। चूंकि कानून के तहत आने वाले तीनों ही देश मुस्लिम बहुल हैं, ऐसे में अन्य धर्म के लोगों पर अल्पसंख्यक होने के कारण इन देशों में धार्मिक अत्याचार हुआ ही होगा, इसे स्वाभाविक माना गया है।
क्या है नागरिकता कानून?
मोदी सरकार ने दिसंबर में नागरिकता (संशोधन) बिल को संसद में पेश किया था। बिल आसानी से संसद से पारित होने में कामयाब रहा और उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के साथ ही कानून बन गया। कानून लागू करने के लिए केवल गजट नोटिफिकेशन निकालना बाकी रह गया था। इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय को लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
इसलिए हो रहा है कानून का विरोध
भारत के इतिहास में ये पहली बार है जब धर्म और नागरिकता को आपस में जोड़ा गया है और इसी कारण इसका विरोध हो रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने के कारण इसे भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताया जा रहा है। कानून के संसद से पारित होने के बाद से ही देशभर में लोग इसके खिलाफ सड़कों पर हैं और इन प्रदर्शनों में 20 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है।