#NewsBytesExplainer: अफ्रीकी देश नाइजर में तख्टापलट कैसे हुआ और अभी क्या स्थिति है?
क्या है खबर?
अफ्रीका के देश नाइजर में हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद स्थिति चिंताजनक हो गई है।
सेना द्वारा राष्ट्रपति मोहम्मद बाजौम की सरकार को बर्खास्त करने के बाद जारी प्रदर्शन के बाद हिंसा की संभावना बढ़ गई है।
इसके अलावा सेना की तरफ से हवाई क्षेत्र पर रोक लगाने के बाद कई देशों ने अपने नागरिकों को नाइजर से बाहर निकालना शुरू कर दिया है।
आइए समझते हैं कि नाइजर में तख्तापलट कैसे हुआ और अभी क्या स्थिति है।
तख्तापलट
राष्ट्रपति गार्ड के प्रमुख ने की थी तख्तापलट
नाइजर में 26 जुलाई को राष्ट्रपति गार्ड के नेतृत्व में एक सैन्य समूह ने राष्ट्रपति मोहम्मद बाजौम को हिरासत में लेकर देश की सत्ता पर तख्तापलट कर दिया था।
इसके बाद राष्ट्रपति गार्ड के प्रमुख अब्दुर्रहमान त्चियानी ने राजकीय टीवी पर संदेश जारी करते हुए खुद को अंतरिम सरकार का प्रमुख घोषित कर नाइजर के संविधान को निलंबित कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र (UN), यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ ने नाइजर में हुए सैन्य तख्तापलट की निंदा की है।
स्थिति
बाजौम ने 2021 में सत्ता हासिल की थी
राष्ट्रपति बाजौम ने नाइजर की आजादी के बाद सत्ता के पहले लोकतांत्रिक हस्तांतरण के बाद 2021 में सरकार का गठन किया था। उनका निष्कासन पूरे क्षेत्र में जारी राजनीतिक उथल-पुथल और इस्लामी चरमपंथ में वृद्धि के बीच हुआ है।
बाजौम को अमेरिका और फ्रांस का करीबी माना जाता है और उनके सत्ता के बाहर होने से क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ जारी अभियानों के साथ-साथ अन्य परिस्थितियां भी तेजी के साथ बदल सकती हैं।
चेतावनी
नाइजर के सैन्य अधिकारियों ने दी चेतावनी
नाइजर में तख्तापलट करने वाले सैन्य अधिकारीयों ने कहा है कि अगर पड़ोसी देश अपदस्थ राष्ट्रपति बजौम के शासन को बहाल करने की कोशिश करेंगे तो वह उनकी हत्या कर देंगे।
दरअसल, पश्चिम अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS) ने नाइजर में स्थिति का समाधान ढूंढने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करने की बात कही थी।
बता दें कि 26 जुलाई को हुए तख्तापलट के बाद से ही बजौम को राष्ट्रपति भवन में बंधक बनाकर रखा हुआ है।
कार्रवाई
अमेरिका और फ्रांस ने रोकी वित्तीय सहायता
फ्रांस और यूरोपीय संघ ने नाइजर को दी जा रही वित्तीय सहायता पर रोक लगा दी है।
इसके साथ ही अमेरिका ने भी नाइजर को दी जा रही 100 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता निलंबित कर दी है और राजधानी नियामी से अपने दूतावास कर्मचारियों को आंशिक रूप से वापस बुला किया है।
गौरतलब है कि अमेरिकी सेना के करीब 1,000 सैनिक मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए नाइजर में फिलहाल तैनात हैं।
प्रभाव
तख्तापलट का क्या प्रभाव होगा?
नाइजर में सैन्य तख्तापलट ने देश के यूरेनियम भंडार के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। गौरतलब है कि नाइजर दुनिया में यूरेनियम का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक और यूरोप में इस पदार्थ के मुख्य निर्यातकों में से एक है।
सेना ने फ्रांस को यूरेनियम का निर्यात बंद कर दिया है, जो अपने विशाल नागरिक परमाणु उद्योग को बिजली देने के लिए इस खनिज का बड़े स्तर पर उपयोग करता है।
स्थिति
क्या तख्तापलट के पीछे है रूस का हाथ?
नाइजर में हुई तख्तापलट के पीछे रूस का हाथ होने की बात कही जा रही है। अमेरिका और फ्रांस के सहयोगी नाइजर में रूस पिछले काफी समय से कथित तौर पर दुष्प्रचार अभियान में शामिल रहा है।
इसके अलावा हाल ही में रूस की सरकार के खिलाफ बगावत करने वाला वागनर समूह भी मध्य अफ्रीका के कई देशों में सैन्य अभियानों में शामिल रहा है।
हालांकि, वागनर समूह ने तख्तापलट में शामिल होने की बात से इनकार किया है।
तख्तापलट
अन्य पश्चिमी अफ्रीकी देशों में भी हो चुकी है तख्तापलट
पश्चिमी अफ्रीका के देशों में 2020 के बाद से कई तख्तापलट हो चुके हैं। पश्चिमी समर्थक ठिकानों में से एक नाइजर से पहले बुर्किना फासो और माली में 2-2 बार जबकि चाड और गिनी में 1-1 बार तख्तापलट हो चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस द्वारा उसके और अफ्रीका के बीच के संबंधों को फिर से शुरू करने की कवायद इन तख्तापलटों के पीछे बड़ी वजह हो सकती है।
स्थिति
नाइजर की स्थिति पर भारत सरकार ने क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय ने नाइजर में हिंसा की आशंका को देखते हुए वहां रहने वाले भारतीयों को देश छोड़ने की सलाह दी है।
प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सरकार नाइजर के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रही है और सभी भारतीयों को दूतावास के साथ खुद को पंजीकृत करने का आग्रह किया है।
आकंड़ों के मुताबिक, नाइजर में फिलहाल 250 भारतीय मौजूद हैं, जिन्हें सभी प्रकार की सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।