बांग्लादेश में वायरल CJI गोगोई को लिखा प्रधानमंत्री मोदी का फर्जी पत्र, भारत ने किया खारिज
बांग्लादेश में वायरल हो रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फर्जी पत्र को खारिज करते हुए भारत ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने इसे दोनों देशों के लोगों के बीच मौजूद अच्छे संबंधों में दरार डालने की कोशिश बताया है। फर्जी पत्र में प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या विवाद में फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश (CJI) को बधाई दे रहे हैं। इसकी साम्रगी बेहद आपत्तिजनक और भड़काऊ है।
क्या लिखा है फर्जी पत्र में?
दरअसल, बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या विवाद में फैसले पर CJI गोगोई को बधाई दे रहे हैं। इसमें प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से लिखा गया है, "मैं हिंदू राष्ट्र में अद्भुत योगदान के लिए आपको और आपकी बेंच को बधाई देता हूं। आपके सराहनीय और यादगार फैसले के लिए हिंदू हमेशा आपके आभारी रहेंगे, जो हिंदू राष्ट्र के लिए एक नया इतिहास रचेगा।"
बांग्लादेशी मीडिया ने खूब चलाईं खबरें
बांग्लादेशी मीडिया ने इस फर्जी पत्र को सही मानते हुए इस पर खूब खबरें की हैं जिनमें प्रधानमंत्री मोदी और CJI गोगोई की गलत तस्वीर पेश की गई है। इन्हीें खबरों का संज्ञान लेते हुए अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है।
पत्र को सही मान बांग्लादेशी लोग कर रहे प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना
बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग का बयान, बुरी नीयत से फैलाया जा रहा पत्र
मामले पर बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए बयान जारी किया है। इसमें लिखा है, "बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया में एक ऐसा पत्र घूम रहा है जिसे भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया बताया जा रहा है। ये पत्र पूरी तरह से झूठा है और बुरी नीयत से फैलाया जा रहा है। इसे बांग्लादेश के लोगों को बरगलाने और लोगों के बीच द्वेष फैलाने के इरादे से चलाया जा रहा है।"
रवीश कुमार ने की फेक खबर फैलाने वालों की कड़ी आलोचना
प्रेस रिलीज में आगे लिखा है, "जो लोग इस झूठे पत्र को जानबूझकर फैला रहे हैं, वो भारत के बारे में सार्वजानिक जगहों पर झूठी बातें फैला रहे हैं और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।" इसे ट्वीट करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने लिखा है, "हम समुदायों को बांटने, अशांति फैलाने और भारत और बांग्लादेश के लोगों में दोस्ती को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर ऐसी फेक और दुर्भावनापूर्ण खबर फैलाने वालों की कड़ी आलोचना करते हैं।"
क्या था अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
बता दें कि 9 नवंबर को CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने अयोध्या विवाद में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। वहीं मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन दी जाएगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन-चार महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने को कहा है।