उन्नाव रेप केस में आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को भाजपा ने पार्टी से बाहर निकाला

उन्नाव रेप केस में मुख्य आरोपी अपने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। रेप पीड़िता की कार की टक्कर और इसमें उसके दो परिजनों की मौत के बाद भाजपा पर अपने विधायक पर कार्रवाई करने का दवाब बन रहा था। रविवार को रायबरेली में हुई इस टक्कर में पीड़िता और उसका वकील भी गंभीर रूप से घायल हुआ था। पीड़िता की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।
पीड़ित परिवार ने कार की टक्कर को साजिश बताते हुए कहा था कि ये सब विधायक सेंगर के इशारों पर हुआ है। इसके बाद उसके खिलाफ हत्या का मामला भी दर्ज किया गया था। बांगरमाऊ से विधायक सेंगर पिछले एक साल से जेल में है।
MLA Kuldeep Singh Sengar (#Unnao rape accused) has been expelled from @BJP4India pic.twitter.com/vJpHSOKLmf
— ET NOW (@ETNOWlive) August 1, 2019
आज भाजपा के लिए मुसीबत बने सेंगर ने कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर 2002 में विधायक चुने गए थे। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और दो बार उसकी टिकट पर जीत दर्ज की। सेंगर 2017 में भाजपा से जुड़े और चौथी बार विधायक बने। अपने इलाके में उनकी छवि बाहुबली की है और इस रेप केस से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
सेंगर पर आरोप है कि 2017 में जब पीड़ित लड़की (तब 17 वर्ष उम्र) अपने रिश्तेदारों के साथ उनके उन्नाव स्थित घर पर नौकरी मांगने के लिए आई, तब सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया। पीड़ित परिवार अगले एक साल तक हर चौखट पर इंसाफ मांगता रहा, लेकिन उसे हर जगह से निराशा हाथ लगी। अंत में लड़की और उसकी मां ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की और मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया।
इसके बाद भी मामले में बहुत ज्यादा तरक्की नहीं हुई और सेंगर ने पुलिस की मदद से पीड़ित परिवार को धमकाना जारी रखा। पिछले साल इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। इस बीच भाजपा ने भी सेंगर को पार्टी से निलंबित करने का दावा किया। सेंगर की गिरफ्तारी के बाद मामला सुर्खियों से गायब हो गया और उसका पीड़ित परिवार को धमकाना लगातार जारी रखा। मामले में अब तक 4 गवाहों की मौत हो चुकी है।
खबरों के अनुसार, पीड़ित परिवार ने पिछले 16 महीनों में शीर्ष सरकारी अधिकारियों, नेताओं और पुलिस अधिकारियों आदि को मदद के लिए 36 आपातकालीन पत्र लिखे थे। एक ऐसा ही पत्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को भेजा गया, जो उन्हें प्राप्त नहीं हुआ। टक्कर के बाद पत्र की जानकारी मिलते हुए आज CJI ने मामले पर सुनवाई करते हुए CBI को 7 दिन के अंदर मामले की जांच पूरी करने का आदेश दिया है।