देश कितना ODF? खुले में पेशाब करने पर हिंसा की दो घटनाएं, एक की मौत
बुधवार को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित किया था। लेकिन जिस समय प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा किया, उसके कुछ घंटे बाद ही मध्य प्रदेश में खुले में पेशाब करने के दो अलग-अलग मामलों में दो लोगों को पीटा गया। इसमें 18 महीने के एक बच्चे की मौत हो गई और उसकी हत्या के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
बच्चे के घर के सामने पेशाब करने को लेकर हुई लड़ाई
पहली घटना सागर जिले की है। यहां राम सिंह का आठ वर्षीय बेटा मोहर सिंह के घर के आगे पेशाब कर रहा था। मोहर ने इसका विरोध किया जिससे दोनों में लड़ाई होने लगी। इस दौरान राम का बड़े बेटा उमेश वहां आ गया और दोनों बाप-बेटे ने मोहर पर लाथियों से हमला कर दिया। हमले में मोहर की गोद में बैठा उसका बेटा भवन सिंह घायल हो गया। उसे जल्द अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
दोनों आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
बीणा के अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) विक्रम सिंह ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि राम सिंह और उमेश को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि दोनों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
खांडवा में खुले में शौच कर रहे व्यक्ति को टोकना पड़ा पुलिसवाले को भारी
वहीं दूसरी घटना राज्य के खांडवा जिले में हुई, जहां एक पुलिस हवलदार को खुले में पेशाब कर रहे एक व्यक्ति को रोकना भारी पड़ गया और उस पर हमला किया गया। जिले के एक ट्रैफिक पुलिस स्टेशन में तैनात सूरज यादव नामक पुलिस हवलदार पर पत्थरों से हमला किया या और उनके सिर में चोट आई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खांडवा के SP शिव दयाल ने बताया कि मामले में जांच चल रही है।
पिछले हफ्ते खुले में शौच कर रहे दो बच्चों की हुई थी लिंचिंग
इससे पहले राज्य के शिवपुरी जिले में पिछले हफ्ते दो लोगों ने खुले में शौच कर रहे दो दलित बच्चों को लाठियों से पीट-पीट कर मार डाला था। भावखेड़ी गांव की इस घटना में 12 वर्षीय रोशनी और 10 वर्षीय अविशान सुबह खुले में शौच कर रहे थे। तभी गांव के ही हाकिम यादव और रामेश्वर यादव ने उन्हें देख लिया और आपत्ति जताने लगे। उन्होंने दोनों बच्चों को लाठियों से बुरी तरह से पीटा, जिससे उनकी मौत हो गई।
क्या सचमुच खुले में शौच मुक्त हो गया है देश?
प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भले ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया हो, लेकिन ये घटनाएं बताती हैं कि जमीनी हकीकत इससे अलग है। मुंबई के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। मुंबई को दो साल पहले 2017 में खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया था, लेकिन वहां आज भी एक लाख सार्वजनिक शौचालयों की कमी है। वहीं जो सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध हैं, उनकी स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है।