फांसी की सजा सुनाने के मामले में शीर्ष सात देशों में शामिल भारत
सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में बच्चन सिंह वर्सेज पंजाब के फैसले में यह बात दोहराई थी कि हत्या के दोषी को दुर्लभतम मामलों में ही मौत की सजा दी जा सकती है। इससे पहले दो अन्य फैसलों में भी कोर्ट ने यही बात कही थी। 1983 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 303 को रद्द कर दिया। इस धारा में अगर पहले से दोषी कोई व्यक्ति हत्या का दोषी पाया जाता है तो उसे मौत की सजा देने का प्रावधान था।
2018 में 162 दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा
इन सब फैसलों को देखें तो पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट फांसी की सजा देने में बेहद संयम बरतता है। सुप्रीम कोर्ट के इस संयम के बावजूद 2018 में फांसी की सजा सुनाने के मामले मे भारत दुनिया के शीर्ष सात देशों में शामिल रहा था। इंडिया टूडे ने दिल्ली स्थिति राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय के हवाले से बताया है कि पिछले साल भारत में निचली अदालतों ने 162 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई।
आठ देशों ने सुनाई 100-100 से ज्यादा कैदियों को फांसी की सजा
2018 में आठ देशों ने 100-100 से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इनमें भारत के अलावा, चीन, इजिप्ट, इराक, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और वियतनाम शामिल हैं।
देश में फांसी की सजा पाए 426 दोषी
2018 में सुनाई गई फांसी की 162 सजाएं पिछले 18 सालों की सर्वाधिक है। 2007 में 154 दोषियों को फांसी की सजा हुई थी। फिलहाल देश की अलग-अलग जेलों में फांसी की सजा पाए 426 कैदी बंद है। इनमें से 45 को हत्या और 58 को यौन उत्पीड़न और हत्या के मामलों में यह सजा सुनाई गई है। 2018 में हाई कोर्ट्स ने केवल 23 फांसी की सजाओं को ही बरकरार रखा, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 11 था।
सुप्रीम कोर्ट तक आते-आते कम हो जाते हैं ऐसी सजा के मामले
हाई कोर्ट्स ने 2018 में निचली अदालतों से 12 मामलों में फांसी की सजा पाए 23 लोगों को बरी कर दिया। 2017 और 2016 में यह आंकड़ा क्रमश: 35 और 20 था। सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार होने के मामले और कम हो जाते हैं। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केवल तीन दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कुल 12 मामले सुने थे, जिनमें से एक मामले में सजा बरकरार रखी गई।
फांसी की सजा खत्म करने की सिफारिश कर चुका विधि आयोग
विधि आयोग 2015 में फांसी की सजा खत्म करने की सिफारिश कर चुका है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बात को मानने के कोई कारण नहीं है कि फांसी की सजा रेप और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की रोकथाम में कोई भूमिका निभाती है। आयोग ने कहा कि आतंकवाद और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामलों को छोड़कर सभी अपराधों में फांसी की सजा को खत्म किया जाना चाहिए।
20 सालों में केवल चार दोषियों को हुई फांसी
सुप्रीम कोर्ट के दुर्लभतम मामलों में मौत की सजा सुनाए जाने की बात और विधि आयोग द्वारा फांसी की सजा खत्म किए जाने की सिफारिश के बावजूद निचली अदालतों ने पिछले तीन सालों में 420 फांसी की सजाएं सुनाई हैं। हालांकि, भारत में सजा पाए दोषियों को फांसी पर लटकाने की दर काफी कम है। पिछले 20 सालों में केवल अजमल कसाब, अफजल गुरू, याकूब मेमन और धनजंय चटर्जी को फांसी दी गई है।