314 सिख विदेशी नागरिकों के भारत आने पर था प्रतिबंध, सरकार ने नंबर घटाकर 2 किया
जिन सिख विदेशी नागरिकों के भारत आने पर प्रतिबंध लगा हुआ था, उनमें से ज्यादातर अब भारत आ सकेंगे। केंद्र सरकार ने इस ब्लैकलिस्ट में शामिल सिख नागरिकों की संख्या 314 से घटाकर दो कर दी है। इन लोगों से भारत को होने वाले खतरे की समीक्षा करने के बाद ये फैसला लिया गया है। बता दें कि 1980 के दशक में पंजाब में आतंक के दौर के समय ये सभी देश छोड़कर भाग गए थे।
ब्लैकलिस्ट से हटाए गए लोग हासिल कर सकेंगे भारत का वीजा
शुक्रवार को गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्लैकलिस्ट से हटाए गए 312 सिख विदेशी नागरिक अब भारतीय वीजा और ओवरसीज इंडियन कार्ड हासिल कर सकते हैं। ये सभी लोग भारत का 'लॉन्ग टर्म वीजा' भी हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सभी विदेशी मिशनों को इस बदलाव के बारे में सूचित कर दिया गया है।
"सिख विदेशी नागरिकों को मिलेगा फिर से जड़ों से जुड़ने का मौका"
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि इन लोगों से भारत को होने वाले खतरे की समीक्षा करने के बाद इस ब्लैकलिस्ट को छोटी करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा, "ये समीक्षा लगातार चलने वाली और गतिशील प्रक्रिया है और एक नियमित अभ्यास का हिस्सा है। ऐसी समीक्षा इन सिख नागरिकों को भारत आने, उनके परिवार के सदस्यों से मिलने और अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का मौका देगी।"
1980 के दशक में चरम पर थी अलग खालिस्तान की मांग
बता दें कि 1980 के दशक में पंजाब में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग जोरों पर थी और इसने आतंक का रास्ता अपना लिया था। इस दौरान भारत और विदेशों के कई सिख भारत विरोधी प्रोपगैंडा के जाल में फंस गए। अधिकारी ने बताया, "भारतीय अधिकारियों से बचने के लिए इनमें से कुछ भारत छोड़ कर भाग गए, विदेशी नागरिक बन गए और भारत के बाहर शरण ले ली।"
ब्लैकलिस्ट के कारण नहीं मिल पाती थी कॉन्सुलर एक्सेस
अधिकारी ने बताया कि ऐसे लोगों को 2016 तक ब्लैकलिस्ट में रखा गया और वो भारत नहीं आ सकते थे। ब्लैकलिस्ट होने की वजह से इस सूची में शामिल लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को कॉन्सुलर एक्सेस प्रदान करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब उनके नाम ब्लैकलिस्ट से हटने के बाद इन सभी समस्याओं को निदान हो गया है और ये लोग लंबे समय के लिए भी भारत आ सकेंगे।