रतन टाटा के साथ काम करता है यह 27 वर्षीय युवक, जानिए कैसे मिला मौका
भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को आज किसी पहचान की ज़रूरत नहीं है। उनके साथ आज भी काम करने के लिए कई युवा लालायित रहते हैं, क्योंकि उनके साथ काम करना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। उनके साथ काम करने का सपना ज़्यादातर लोग देखते हैं, लेकिन 27 वर्षीय शांतनु नायडू का यह सपना सच हो गया। उन्होंने हाल ही में ख़ुलासा किया कि ये कैसे हुआ। आइए जानें।
फेसबुक पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' पर पोस्ट लिखकर किया ख़ुलासा
दरअसल शांतनु इस समय टाटा के साथ काम कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने टाटा के साथ अपनी एक फोटो सोशल साइट पर शेयर की थी, जिसकी वजह से वो चर्चा में आ गए थे। इसके साथ ही शांतनु ने लोकप्रिय फेसबुक पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' पर एक पोस्ट लिखकर यह ख़ुलासा किया कि उन्हें टाटा के साथ काम करने का मौका कैसे मिला। शांतनु ने पोस्ट में जो-जो हुआ उसके बारे में विस्तार से लिखा है।
2014 में शुरू किया था टाटा ग्रुप के साथ काम करना
शांतनु बताते हैं कि उन्होंने 2014 में अपनी ग्रेजुएशन करने के बाद टाटा ग्रुप के साथ काम करना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि एक दिन जब वह ऑफिस से घर वापिस आ रहे थे तो उन्होंने सड़क पर एक आवारा कुत्ते को मरते हए देखा। उसे शायद किसी गाड़ी ने टक्कर मारी थी। इसके बाद उनके मन में विचार आया कि आवारा कुत्तों को कैसे सड़क दुर्घटनाओं से बचाया जाए। शांतनु के दिमाग में इसके लिए एक आइडिया आया।
तेज़ी से फैल गया आइडिया
दरअसल, शांतनु ने एक ऐसे चमकदार कॉलर के बारे में सोचा, जिसे कुत्ते के गले में बांध दिया जाए तो ड्राइवर दूर से ही इसे देख सकें। शांतनु ने बताया, 'मेरा यह आइडिया तेज़ी से फैल गया और इस पर टाटा समूह की कंपनियों के समाचार पत्र में भी लिखा गया।' उन्होंने आगे बताया, 'उस समय मेरे पिता ने मुझे रतन टाटा को एक पत्र लिखने के लिए कहा, क्योंकि वह भी कुत्तों से बहुत प्यार करते हैं।'
बैठक के लिए किया गया था आमंत्रित
शांतनु का कहना है कि पत्र लिखने के दो महीने बाद टाटा समूह की तरफ़ से जवाब आया, जिसमें उन्हें एक बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था। उस समय शांतनु को उस पर बिलकुल भी यक़ीन नहीं हुआ था।
टाटा ने काम के लिए मुहैया कराया फ़ंड
कुछ दिनों बाद शांतनु, टाटा से मुंबई में उनके ऑफ़िस में मिले। टाटा ने शांतनु से कहा, 'आप जो काम करते हैं, उससे मैं बहुत ज़्यादा प्रभावित हूँ।' फिर टाटा शांतनु को अपने कुत्तों से मिलवाने के लिए घर लेकर गए और उनके काम के लिए फ़ंड भी मुहैया करवाया। इसके बाद शांतनु अपनी मास्टर्स की पढ़ाई के लिए वापस चले गए, लेकिन उन्होंने टाटा से वादा किया कि पढ़ाई पूरी करके लौटेंगे और टाटा ट्रस्ट के लिए काम करेंगे।
टाटा ने अपना सहायक बनने का दिया ऑफ़र
शांतनु कहते हैं, 'जैसे ही मैं भारत वापस आया उन्होंने मुझे फोन किया और कहा 'मुझे ऑफ़िस में बहुत काम होता है, क्या आप मेरे सहायक बनना चाहोगे?' मुझे नहीं पता था कि कैसे प्रतिक्रिया दूँ। इसलिए मैंने एक गहरी साँस ली और फिर हाँ कह दिया।' शांतनु को अब टाटा के साथ काम करते हुए 18 महीने हो चुके हैं। बता दें कि शांतनु की पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई और इस पर काफी कमेंट्स भी आए।