ओमिक्रॉन: अभी तीसरी खुराक की जरूरत नहीं, कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल ठीक- ICMR
क्या है खबर?
ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच देश में वैक्सीन की तीसरी खुराक और कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल कम करने की मांग हो रही है।
हालांकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) इन दोनों मांगों के खिलाफ है।
ICMR के महामारी विभाग के प्रमुख डॉ समिरन पांडा ने कहा कि पहले अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन को दोनों खुराकें लगाने पर जोर देना चाहिए। तीसरी खुराक के बारे में बाद में सोचा जा सकता है।
बयान
क्यों तीसरी खुराक के पक्ष में नहीं है ICMR?
TOI से बात करते हुए डॉ पांडा ने कहा कि दुनियाभर में ओमिक्रॉन संक्रमितों में हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं। ऐसे में अचानक से तीसरी खुराक लगाने और कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने जैसे कदम उठाने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि अधिक जोखिम का सामना करने वाले या कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों की जरूरत को देखते हुए तीसरी खुराक लगाने का फैसला बाद में लिया जा सकता है।
वैक्सीनेशन
खुराकों के बीच अंतराल वैज्ञानिक नजरिये से उचित- डॉ पांडा
डॉ पांडा ने कहा कि भारत में बूस्टर शॉट की जरूरत को लेकर आंकड़ों का अध्ययन किया जा रहा है और इस संबंध में बनी विशेषज्ञ समिति इस बारे में फैसला लेगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल व्यस्कों का वैक्सीनेशन पूरा करने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए क्योंकि भारत के संदर्भ में यह रणनीति बेहतर काम करती हुई नजर आ रही है।
वहीं खुराकों के बीच अंतराल को लेकर उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सबूत दिखाते हैं कि यह अंतर उचित है।
जानकारी
कोविशील्ड की खुराकों के बीच 84 दिनों का अंतराल
भारत के वैक्सीनेशन अभियान में प्रमुखता से इस्तेमाल हो रही कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 84 दिनों का अंतराल है। महाराष्ट्र और केरल आदि राज्यों ने केंद्र सरकार से इसे कम करने की मांग की थी।
शुरुआत में यह अंतराल चार हफ्ते रखा गया था। फिर इसे बढ़ाकर 6-8 सप्ताह और बाद में 12 सप्ताह किया गया था।
दूसरी तरफ कोवैक्सिन की दोनों खुराकें के बीच 6-8 सप्ताह का अंतराल तय किया गया है।
जानकारी
कोविशील्ड को तीसरी खुराक के तौर पर इस्तेमाल की मंजूरी नहीं
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविशील्ड को तीसरी खुराक के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी है।
दरअसल, कंपनी ने पर्याप्त खुराकों के भंडारण और कोरोना के नए वेरिएंट के मद्देनजर तीसरी खुराक की बढ़ती मांग का हवाला देते हुए कोविशील्ड की तीसरी खुराक देने की अनुमति मांगी थी।
इस आवेदन को रद्द करते हुए DGCI ने कंपनी से स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़े जमा कराने को कहा है।
कोरोना संकट
भारत में ओमिक्रॉन के मामले बढ़कर 36 हुए
भारत में बीते कुछ घंटों के दौरान ओमिक्रॉन वेरिएंट के तीन नए मामले सामने आए हैं।
चंडीगढ़, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में एक-एक शख्स को इससे संक्रमित पाया गया है। तीनों संक्रमित हाल ही में विदेश से आए हैं।
इन तीन नए मामलों के साथ देश में ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या 36 हो गई है। इससे पहले दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर और बेंगलुरू आदि शहरों में भी ओमिक्रॉन के मामले सामने आ चुके हैं।
खतरा
क्यों खतरनाक माना जा रहा ओमिक्रॉन?
50 से अधिक देशों में पहुंच चुके ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं।
विशेषज्ञों का कहना है यह वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। इसके वैक्सीनों को चकमा देने की आशंका भी लगाई जा रही है।
WHO ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है और इस ऐलान के बाद कई देश यात्रा प्रतिबंध लागू कर चुके हैं।