तलाक के मामलों में कैसे निर्धारित होगा गुजारा भत्ता? सुप्रीम कोर्ट ने तय किए 8 कारक
बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या करने की घटना ने देश की न्याय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता तय करने का 8 कारक निर्धारित किए हैं। बता दें, अतुल ने अपने सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है और देश की न्याय व्यवस्था की भी आलोचना की है। आइए जानते हैं कोर्ट ने कौनसा फार्मूला निर्धारित किया है।
अतुल ने 80 मिनट के वीडियो में सुनाई आपबीती
बिहार निवासी अतुल ने आत्महत्या करने से पहले 80 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने अपनी अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर पैसे ऐंठने के लिए उन पर और उनके परिवार पर 9 मामले दर्ज करने का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया था कि ये सभी मामले कोर्ट में हैं और उन्हें लगातार तारीखें दी जा रही है। इन सबसे परेशान होकर उन्होंने अपनी जिंदगी को खत्म करने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए तय किए 8 कारक
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीवी वराले की पीठ ने मंगलवार को प्रवीण जैन और अंजू जैन नामक दंपति के तलाक मामले की सुनवाई में फैसला सुनाते हुए गुजारा भत्ता राशि पर निर्णय देते के लिए 8 कारक निर्धारित किए हैं। पीठ ने देश भर की सभी अदालतों को सलाह दी कि वो अपने इस तरह के आदेश फैसले में उल्लिखित कारकों को आधार बनाए। ऐसे में अब गुजारा भत्ता तय करने में अलादलों को आसानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किए ये 8 कारक
सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत, भविष्य में पत्नी-बच्चों की बुनियादी जरूरतें, दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार, आमदनी के साधन और सम्पदा, पत्नी का ससुराल में रहते हुए रहन-सहन का स्तर, क्या परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है, नौकरी न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित रकम और पति की आर्थिक हैसियत, उसकी कमाई और गुजारे-भत्ते के साथ अन्य जिम्मेदारियों पर ध्यान देते हुए गुजरा भत्ता तयर करने को कहा है।
काेर्ट ने क्या की टिप्पणी?
कोर्ट ने गुजारा भत्ता के लिए कारक निर्धारित करने के साथ कहा, "उपरोक्त कारक कोई सीधा-सादा फार्मूला नहीं बनाते, बल्कि स्थायी गुजारा भत्ता तय करते समय दिशा-निर्देश के रूप में काम करते हैं। गुजारा भत्ता की राशि इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित हो।" कोर्ट ने कहा कि काई भी अदालत दंडित करने के इरादे से गुजरा भत्ता तय नहीं कर सकती।
क्या है अतुल की आत्महत्या का मामला?
अतुल और निकिता ने मैचमेकिंग वेबसाइट के जरिए 2019 में शादी की थी। 2020 में दोनों के एक बेटे हुआ। अतुल का आरोप है कि निकिता का परिवार अक्सर उससे लाखों रुपये की मांग करता था। पैसे देने से मना करने पर निकिता 2021 में बच्चे के साथ घर छोड़कर चली गई। इसके बाद पत्नी और उसके परिजनों ने उसके खिलाफ 9 केस दर्ज करा दिए और मामला रफा-दफा करने के लिए 3 करोड़ रुपये की मांग की थी।