युवाओं के लिए पत्नी का मतलब है 'हमेशा के लिए चिंता आमंत्रित'- केरल हाई कोर्ट
क्या है खबर?
केरल हाई कोर्ट ने वर्तमान में बढ़ रही 'इस्तेमाल करो और फेंको' की मानसिकता की निंदा करते हुए तलाक की याचिका को खारिज कर दिया।
इस दौरान कोर्ट ने विवाह की पवित्रता को लेकर भी सख्त टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा कि नई पीढ़ी विवाह को एक बुराई के रूप में देखती है और उनके लिए पत्नी का मतलब 'हमेशा के लिए चिंता आमंत्रित' करना हो गया है। यह समाज की अंतरात्मा के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
मामला
पति ने वैवाहिक क्रूरता के आधार पर दायर की थी तलाक की याचिका
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एक ईसाई युवक ने वैवाहिक क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी। उसने ईसाई रीति-रिवाज से शादी की थी और सऊदी अरब में रह रहे थे। उनकी तीन बेटियां हैं।
पति का आरोप था कि उसकी पत्नी को उस पर अन्य महिलाओं के संबंध का शक था और इसको लेकर वह उससे क्रूरता करने लग गई।
हालांकि, पत्नी ने पति के दावों को खारिज करते कहा था कि उसने कभी मारपीट नहीं की।
खारिज
कोर्ट ने खारिज की तलाक की याचिका
मामले में 24 अगस्त को सुनवाई करते हुए जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि उचित आधार पर पति की वफादारी पर संदेह करना असामान्य व्यवहार नहीं कहा जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी के पास पति पर संदेह की उचित वजह होती है और वह उससे सवाल या अपना दुख-दर्द व्यक्त करती है तो इसे व्यवहार संबंधी असामान्यता नहीं कहा जा सकता है।
दलील
उचित आधार पर पत्नी का सवाल करना है प्राकृतिक मानवीय आचरण- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि उचित आधार पर पत्नी का सवाल करना प्राकृतिक मानवीय आचरण है। वह पति का अन्य महिला से अवैध संबंध होने पर सवाल करने के साथ नाराजगी जता सकती है। इसे व्यवहार संबंधी असामान्यता या क्रूरता नहीं कहा जा सकता है और इस आधार पर तलाक को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक गलती करने वाला व्यक्ति अपनी अवैध गतिविधियों को वैध ठहराने के लिए कोर्ट नहीं आ सकता है।
टिप्पणी
"आनंद से जीवन जीने के लिए विवाह से बचाना चाहती है युवा पीढ़ी"
कोर्ट ने कहा, "युवा पीढ़ी विवाह को बुराई के रूप में देखती है और आनंद से जीवन जीने के लिए इससे बचना चाहती हैं। लिव-इन रिलेशनशिप बढ़ रहे हैं। यह चिंता का विषय है।"
कोर्ट ने कहा, "युवा पीढ़ी दायित्वों के बिना जीवन का आनंद उठाने के लिए विवाह से बचना चाहती है। वह पत्नी शब्द का विस्तार 'हमेशा के लिए चिंता आमंत्रित' के रूप में करेंगे जो 'हमेशा के लिए बुदि्धमान निवेश' की पुरानी अवधारणा को बदल देगा।"
स्थिति
झकझौर देने वाली है अशांत और तबाह हुए परिवारों की चीख-पुकार- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा, "अशांत और तबाह हुए परिवारों की चीख-पुकार पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली है। जब युद्धरत जोड़े, परित्यक्त बच्चे और हताश तलाकशुदा आबादी के अधिकांश हिस्से पर कब्जा करेंगे तो निस्संदेह हमारे समाज का विकास रुक जाएगा।"
कोर्ट ने कहा, "केरल को भगवान के देश के रूप में जाना जाता है। ये पारिवारिक बंधन के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन वर्तमान चलन, स्वार्थी कारणों से विवाह बंधन को तोड़ता नजर आता है।"