कैसे किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा? जानें बड़ी बातें
गणतंत्र दिवस के मौके पर आज देश की राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा ने पूरे देश को सकते में डाल दिया। इस हिंसा ने न केवल किसानों के आंदोलन को कमजोर किया, बल्कि दुनियाभर में देश की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम भी किया। पिछले दो महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर शांतिपूर्वक चल रहे इस आंदोलन के दौरान अचानक से हिंसा कैसे हो गई, आइए आपको इसका पूरा घटनाक्रम बताते हैं।
आउटर रिंग रोड पर निकाली जानी थी ट्रैक्टर परेड
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने आज गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में एक ट्रैक्टर परेड बुलाई थी और ये परेड शहर को घेरने वाले आउटर रिंग रोड पर निकाली जानी थी। दिल्ली पुलिस ने किसानों की इस परेड को 37 शर्तों के साथ मंजूरी दी थी, जिनमें राजपथ पर परेड खत्म होने के बाद ही ट्रैक्टरों के दिल्ली में प्रवेश करने और शाम 5 बजे के बाद दिल्ली से बाहर निकलने की शर्तें शामिल थीं।
8 बजे ही दिल्ली में दाखिल हो गया किसानों का एक धड़ा
हालांकि इन शर्तों को तोड़ने हुए किसानों का एक बड़ा धड़ा आज सुबह 8 बजे ही पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दिल्ली में दाखिल हो गया। इसके बाद ये किसान तय रास्ते से हटकर ITO से होते हुए लाल किले की तरफ जाने लगे। इस दौरान ITO पर उनकी पुलिस के साथ जबरदस्त भिडंत हुई और कुछ युवा किसानों ने ट्रैक्टर से स्टंट करते हुए पुलिस को भगाने की कोशिश की। पुलिस ने भी आंसू गैस का उपयोग किया।
लाल किले पर किसानों ने फहराया अपना झंडा, पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज
हंगामे के दौरान किसान बड़ी संख्या में लाल किले के अंदर भी दाखिल हो गए और उन्होंने वहां स्टेज पर चढ़कर तिरंगे झंडे के नीचे अपने झंडे फहरा दिए। इसके बाद ज्यादातर किसान लाल किले से रवाना हो गए, वहीं अन्य लाल किले में ही बने रहे। इन किसानों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके अलावा लाल किले के अंदर पत्थरबाजी की खबरें भी हैं। इस पूरी घटना में कई पुलिसकर्मी और किसान घायल हुए हैं।
अभी क्या स्थिति?
ITO और लाल किले पर इस हंगामे के बाद जहां ज्यादातर किसान सिंघु, गाजीपुर और टिकरी समेत अपनी तय जगहों पर पहुंच गए हैं, वहीं ITO और नांगलोई में अभी भी तनाव बना हुआ है और यहां पुलिस और किसान आमने-सामने हैं। ITO पर एक किसान की मौत भी हुई है। पुलिस ने टक्कर मारकर बैरिकेडिंग हटाने के दौरान ट्रैक्टर पलटने से उसकी मौत की बात कही है और सबूत के तौर पर घटना का वीडियो जारी किया है।
देखें ट्रैक्टर पलटने का CCTV फुटेज
केंद्रीय दिल्ली में एंट्री बंद, कई इलाकों में इंटरनेट बंद
ट्रैक्टर परेड के दौरान इस हिंसा को देखते हुए केंद्रीय दिल्ली को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और यहां एंट्री बंद है। इसके अलावा केंद्रीय दिल्ली समेत दिल्ली-NCR के अन्य इलाकों में इंटरनेट को भी रात 12 बजे तक बंद कर दिया गया है। ITO समेत इलाके के कई इलाकों में भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं और केंद्रीय रिजर्व पुलिस (CRPF) की 12 कंपनियों को भी बुलाया गया है।
अमित शाह ने बुलाई आपातकालीन बैठक, हरियाणा और पंजाब में हाई अलर्ट
मामले पर गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकालीन बैठक भी बुलाई है और वह इस बैठक में पूरी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। इस बैठक में गृह सचिव और दिल्ली पुलिस कमिश्नर उन्हें पूरी स्थिति की जानकारी दे रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी दिल्ली में हिंसा को देखते हुए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है और राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। पंजाब में भी हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
किसान संगठनों ने हिंसा पर क्या कहा?
इस बीच ट्रैक्टर परेड बुलाने वाले किसान संयुक्त मोर्चा ने हिंसा पर खेद व्यक्त किया है। अपने बयान में उसने कहा, "हम आज हुई अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा और खेद व्यक्त करते हैं और खुद को इन कार्यों में लिप्त लोगों से अलग करते हैं। हमारे सारे प्रयासों के बावजूद कुछ संगठन और लोगों ने रास्ते का उल्लंघन किया और निंदनीय कार्यों में लिप्त हुए। असामाजिक तत्वों ने अन्यथा शांतिपूर्ण रहे आंदोलन में घुसपैठ की है।"
क्या रही राजनीतिक प्रतिक्रिया?
इस हिंसा पर कई शीर्ष राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया भी आई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है और चोट किसी को भी लगे, नुकसान देश का ही है। उन्होंने देशहित में कृषि विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग भी की है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी हिंसा को अस्वीकार्य बताते हुए सभी असली किसानों को दिल्ली छोड़कर बॉर्डर पर वापस पहुंचने को कहा है।
ममता बनर्जी और शरद पवार ने उठाए सरकार पर सवाल
इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में हिंसा को चिंताजनक और कष्टदायक बताते हुए इसके लिए केंद्र सरकार के असंवेदनशील रवैये को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने सरकार से किसानों के साथ बातचीत करके कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि कानून व्यवस्था बनाए रखना उसकी जिम्मेदारी है और वह इसमें विफल रही है।