नागरिकता कानून: देशभर में आज होंगे प्रदर्शन, दिल्ली समेत इन शहरों में इजाजत नहीं
क्या है खबर?
विवादित नागरिकता कानून के खिलाफ आज देशभर में एक साथ प्रदर्शन होना है।
इस बीच राजधानी दिल्ली समेत कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शन करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है।
दिल्ली में लाल किले के पास धारा 144 लगा दी गई गई है। शहर के कई मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया है।
इसके अलावा कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में भी धारा 144 लगा दी गई है।
दिल्ली प्रदर्शन
दिल्ली में लाल किले से लेकर शहीद पार्क तक रैली
दिल्ली में 'हम भारत के लोग' के बैनर तले नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन होना है।
सुबह 11 बजे शुरू होने वाले इस प्रदर्शन में लाल किले से लेकर शहीद पार्क तक रैली निकाली जाएगी।
दिल्ली पुलिस ने इस रैली की इजाजत देने से इनकार कर दिया है और लाल किले के आसपास धारा 144 लगा दी गई है।
हालांकि इसके बावजूद प्रदर्शनकारी रैली निकालने के लिए लाल किले पहुंचने वाले हैं।
जानकारी
आठ मेट्रो स्टेशन किए गए बंद
इसके अलावा लाल किला, जामा मस्जिद, चांदनी चौक, विश्व विद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, जसोला विहार शाहीन बाग और मुनिरका के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए गए हैं। इन स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रुकेंगी।
धारा 144
बेंगलुरू में लगाई गई धारा 144
दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भी धारा 144 लगा दी गई है और किसी भी प्रदर्शन की इजाजत नहीं है। इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है।
दिल्ली की तरह कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में भी 'हम भारत के लोग' के बैनर तले प्रदर्शन होना था। गुजरात के अहमदाबाद में भी प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई है।
इसके अलावा चेन्नई में भी प्रदर्शन की इजाजत को वापस ले लिया गया है।
मंजूरी
इन जगहों पर दी गई प्रदर्शन की इजाजत
जिन जगहों पर प्रदर्शन की इजाजत दी गई है उनमें मुंबई, पुणे, हैदराबाद, नागपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता और भोपाल शामिल हैं।
मुंबई में भी दिल्ली की तरह बड़ा प्रदर्शन होना है और नामी-गिरामी चेहरे इसमें शामिल होंगे।
यहां भी 'हम भारत के लोग' के बैनर तले प्रदर्शन होना है और इसके लिए ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान को चुना गया है।
इसी मैदान से महात्मा गांधी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरूआत की थी।
नागरिकता कानून
क्या है नागरिकता कानून?
नए नागरिकता कानून के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी।
इसके बाद आने वाले इन धर्मों के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। पहले सबकी तरह उन्हें 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।
कारण
क्यों कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लोग?
भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने इस कानून का विरोध हो रहा है।
वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाषाई और सांस्कृतिक कारणों से इसका विरोध हो रहा है। उन्हें डर है कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिलने पर वो अपने ही जमीन पर अल्सपंख्यक बन जाएंगे।