किसानों ने ठुकराया गृह मंत्री अमित शाह का प्रस्ताव, कहा- दिल्ली की घेराबंदी करेंगे
क्या है खबर?
नए कृषि कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बुराड़ी जाकर आंदोलन करने के प्रस्वात को ठुकरा दिया है।
रविवार को हुई बैठक में किसानों ने प्रस्ताव को नहीं मानने का निर्णय किया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने कहा कि बुराड़ी खुली जेल है, वह वहां नहीं जाएंगे।
उन्होंने दिल्ली की घेराबंदी की बात भी कही।
प्रस्ताव
गृह मंत्री ने दिया था बुराड़ी में बातचीत करने का प्रस्ताव
आंदोलन को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को 3 दिसंबर से पहले बुराड़ी आकर अपना प्रदर्शन करने की शर्त रखी थी, जहां दिल्ली पुलिस ने किसानों के लिए जगह निर्धारित की है।
शाह ने कहा था कि अगर किसान ऐसा करते हैं तो सरकार अगले दिन उनसे बात करने को तैयार है।
इसके बाद 30 किसान संगठनों ने बैठक की और प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर ही डटे रहने का निर्णय किया।
बयान
हम कभी नहीं जाएंगे बुराड़ी- सुरजीत सिंह
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब के BKU क्रांतिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा, "सभी किसान संगठनों ने गृह मंत्री के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। हम बिना शर्त के सरकार से बातचीत करना चाहते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "बुराड़ी खुली जेल है और आंदोलन करने की जगह नहीं है। ऐसे में हम किसी भी सूरत में बुराड़ी नहीं जाएंगे। सरकार को बिना शर्त के बातचीत की पहल करनी चाहिए।"
चेतावनी
दिल्ली के पांच मुख्य प्रवेश द्वारों को करेंगे अवरुद्ध- सुरजीत सिंह
सुरजीत सिंह ने कहा, "हमने बुराड़ी में खुली जेल में जाने के बजाय, दिल्ली के पांच प्रवेश बिंदुओं को अवरुद्ध करके दिल्ली का घेराव करेंगे। हमारे पास पर्याप्त राशन है और हम चार महीने तक रोड पर बैठ सकते हैं। अब आगे की रणनीति हमारी संचालन समिति तय करेगी।"
उन्होंने आगे कहा, "हम किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता को अपने मंच पर बोलने की अनुमति नहीं देंगे। समिति के अनुमति से ही किसी को बोलने की इजाजत दी जाएगी।"
बयान
अभद्रता के लिए मीडिया से मांगी माफी
सुरजीत सिंह ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने अनजाने में मीडिया से अभद्रता कर दी थी। इसके लिए वह माफी मांगते हैं। भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए प्रत्येक बैठक के बाद संगठन की ओर से आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया जाएगा।
शर्त
AIKSCC ने सरकार से बातचीत के लिए रखी शर्त
इधर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने कहा कि किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं ने सरकार के सामने बातचीत के लिए बातचीत का स्थल और चर्चा के लिए कैबिनेट समिति या मंत्रियों के समूह को अधिकृत करने की मांग की है।
AIKSCC ने कहा कि कृषि गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। ऐसे में उसे किसानों के साथ बातचीत के मुद्दे का नेतृत्व नहीं करना चाहिए।
दलील
AIKSCC ने सरकार को दी यह दलील
गृह सचिव की ओर से बातचीत के लिए मिले निमंत्रण के जवाब में AIKSCC के राष्ट्रीय सचिव अविक साहा ने कहा की प्रधानमंत्री देश में सभी फैसले लेते हैं। इसके बाद भी केंद्रीय मंत्रियों ने अंतिम दौर की वार्ता में भाग लिया है, लेकिन उनकी मांगों पर कोई निर्णय लेने के लिए सक्षम है, इस पर उन्हें यकीन नहीं है।
उन्होंने कहा कि वह बातचीत के लिए एक मंत्रिमंडलीय समिति या एक मंत्रियों के समूह को अधिसूचित कराना चाहते हैं।
जानकारी
किसानों के समर्थन में आई सभी खाप पंचायतें
हरियाणा के रोहतक से विधायक सोमबीर सांगवान ने ट्वीट किया, 'सभी खाप पंचायतों ने रविवार को बैठक में फैसला लिया कि वो तन-मन-धन से देश के किसानों के साथ है। सभी खाप पंचायतें किसानों के सहयोग के लिए सोमवार को दिल्ली कूच करेंगी।'
विरोध प्रदर्शन
बीते कई दिन से सड़कों पर हैं किसान
बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में कई राज्यों, विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान 25 नवंबर से ही दिल्ली मार्च पर निकले हुए हैं और उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने की हरियाणा पुलिस की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं।
पुलिस ने रास्ते खोदने और पत्थर और बैरिकेंडिंग लगाने से लेकर शीत लहर में वॉटर कैनन और आंसू गैल के गोलों का प्रयोग करने तक लगभग हर चीज आजमाई, लेकिन किसानों को नहीं रोक पाई।