कोयले की कमी से दिल्ली में ब्लैकआउट का खतरा, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
देश में लगातार आ रही कोयले की कमी से बिजली संकट गहराता जा रहा है। हालात यह है कि देश में सिर्फ पांच दिन का कोयला बचा है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मामले में जल्द से जल्द दखल देने की मांग की है। इसी तरह दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने दो दिन में कोयले की सप्लाई नहीं होने पर ब्लैकआउट की चेतावनी दी है।
केजरीवाल ने ट्वीट कर जताई चिंता
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शनिवार को पहले ट्वीट कर देश में कोयले की किल्लत पर चिंता जताई। उन्होंने लिखा, 'दिल्ली को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर पैनी नजर रख रहा हूं। हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, मैंने माननीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है।' ट्वीट के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की फोटो भी शेयर की है।
ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने दी दो दिन में ब्लैकआउट की चेतावनी
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, "यदि दिल्ली में दो दिन में कोयले की आपूर्ति नहीं की गई तो ब्लैकआउट का सामना करना पड़ेगा।" उन्होंने कहा, "देशभर में कोयला आधारित सभी पावर प्लांट्स पर पिछले कुछ दिनों से कोयले की बहुत कमी है। दिल्ली को सप्लाई करने वाले प्लांट्स पर भी 1 दिन के कोयले का स्टॉक रह गया है। ऐसे में केंद्र सरकार से अपील है कि वह जल्द से जल्द कोयला पहुंचाने की व्यवस्था करे।"
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से की मामले में दखल देने की मांग
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में लिखा, 'मैं आपका ध्यान मौजूदा कोयले की कमी की स्थिति की ओर आकर्षित करता हूं जो अगस्त से लगातार तीसरे महीने जारी है। इससे दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाले प्रमुख केंद्रीय उत्पादन संयंत्रों पर बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है।' उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को थर्मल पावर प्लांट में कोयले की किल्लत और कोयले की मौजूदा स्टॉक की भी जानकारी दी है।
देश में नहीं पर्याप्त मात्रा में गैस- केजरीवाल
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पत्र में लिखा, 'कोयले की कमी से गैस आधारित पावर प्लांट पर निर्भरता बढ़ी है, लेकिन इतनी गैस नहीं है कि पावर प्लांट पूरी क्षमता पर चल सकें। प्रधानमंत्री कार्यालय को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।' उन्होंने दूसरे पावर प्लांटों से दादरी और झज्जर पावर प्लांट में कोयला भेजने, दिल्ली के गैस आधारित पावर प्लांट को पर्याप्त गैस देने और मुनाफाखोरी को रोकने के लिए प्रति यूनिट बिजली की अधिकतम कीमत तय करने की भी मांग की।
टाटा पावर ने दिल्लीवासियों को किया सतर्क
इससे पहले दिल्ली में बिजली आपूर्ति करने वाली टाटा पावर-DDL ने सभी उपभोक्ताओं को मैसेज भेजकर सतर्क किया है। कंपनी ने मैसेज में लिखा, 'उत्तर भारत में सभी बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की सीमित उपलब्धता के कारण शनिवार दोपहर दो से शाम छह बजे के बीच बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहद गंभीर स्तर पर रहेगी। कृपया विवेकपूर्ण तरीके से बिजली का उपयोग करें। एक जिम्मेदार नागरिक बनें। असुविधा के लिए खेद है।'
ऊर्जा मंत्री ने स्वीकार की थी कोयले की कमी
पिछले सप्ताह की शुरुआत में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने देश में थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी को स्वीकार किया था और इसे सामान्य स्थिति से परे करार दिया था। हालांकि, उन्होंने अक्टूबर में स्थिति के सामान्य होने की उम्मीद जताई थी।
अगले छह महीनों तक बना रह सकता है कोयला संकट
बता दें कि देश में कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट्स की संख्या 135 है। इनमें से 107 के पास पांच दिन और 28 के पास महज दो दिन का कोयला बचा है। इसके चलते घरों और ऑफिसों की बिजली कटना शुरू हो गई है। सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की है। भारत के बिजली मंत्रालय ने भी साफ कर दिया है कि यह संकट अगले 5 से 6 महीनों तक बना रह सकता है।
पिछले दो महीनों में 17 प्रतिशत बढ़ी बिजली की खपत
भारत में अगस्त 2019 में भारत में बिजली की खपत 10 लाख 600 करोड़ यूनिट्स थी, जो इस साल अगस्त में बढ़कर 12 लाख 400 करोड़ यूनिट्स पर पहुंच गई है। यानी सिर्फ पिछले दो महीनों में ही भारत में बिजली की खपत 17 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। इससे साफ है कि भारत को पहले के मुकाबले और भी ज्यादा बिजली चाहिए और इसके लिए पहले से ज्यादा कोयला, लेकिन इस समय इतना कोयला मिलना आसान नहीं है।
भारत में कम हो रहा है कोयले का उत्पादन
वैसे तो भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है, लेकिन भारत में भी कोयले का उत्पादन पहले के मुकाबले कम हो रहा है। इसका कारण है कि पिछले महीने हुई भारी बारिश की वजह से खदानों में पानी भर गया है और सही तरह से काम नहीं हो रहा है। इससे भारत का घरेलू कोयला उत्पादन भी घट गया। वहीं पावर प्लांट कोयला जमा नहीं कर पाए। आमतौर पर पावर प्लांट दो सप्ताह का कोयला सुरक्षित रखते हैं।