सरकार ने अलोक वर्मा को सुनाया फरमान, रिटायरमेंट के आखिरी दिन आना होगा ऑफिस
केंद्र सरकार और पूर्व अधिकारी आलोक वर्मा के बीच टकराव खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सरकार ने वर्मा को गुरुवार से अग्निशमन सेवाओं, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स विभाग के महानिदेशक के पद पर कार्यभार संभालने के लिए कहा है। इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद वर्मा ने ये पद संभालने से इनकार कर दिया था। सरकार से उन्होंने कहा था कि उन्हें रिटायर्ड समझा जाए।
'एक दिन के लिए संभाले पदभार'
वर्मा को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने लिखा, "आपको तुरंत अग्निशमन सेवाओं, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स विभाग के महानिदेशक पद पर कार्यभार संभालने का आदेश दिया जाता है।" इसका मतलब है कि वर्मा को गुरुवार यानि एक दिन के लिए ऑफिस जाना पड़ेगा क्योंकि उनका कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा है। अगर वर्मा कार्यभार नहीं संभालते तो उनके और सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
31 जुलाई, 2017 को रिटायरमेंट की उम्र पूरी कर चुके हैं वर्मा
गृह मंत्रालय ने वर्मा को पत्र उनकी उस अपील के जबाव में लिखा है जिसमें उन्होंने कहा था कि CBI निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद वाले दिन से ही उन्हें रिटायर मान लिया जाए। वर्मा ने पत्र में लिखा था कि उन्होंने रिटायरमेंट की उम्र 31 जुलाई, 2017 को ही पूरी कर ली थी और जिस पद पर उनका ट्रांसफर किया गया था, उस पद पर सेवा देने की उम्र उन्होंने पहले ही पूरी कर ली थी।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने हटाया था पद से
वर्मा का कहना था कि वह केवल CBI निदेशक के तौर पर 31 जनवरी, 2019 तक सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे थे, क्योंकि इसका कार्यकाल निश्चित होता है। इसलिए उन्हें उसी दिन से रिटायर मान लिया जाए, जिस दिन उन्हें CBI निदेशक के पद सेे हटाया गया था। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय चयन समिति ने 10 जनवरी को वर्मा को CBI निदेशक के पद से हटाते हुए अग्निशमन विभाग का कार्यभार सौंपा था।
क्या है पूरा CBI विवाद?
अक्टूबर में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की सिफारिशों पर सरकार ने वर्मा को CBI निदेशक के पद से हटा दिया था। वर्मा ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया को गलत मानते हुए उनकी बहाली की। दोबारा पद संभालने के 48 घंटे के अंदर ही चयन समिति ने 2-1 के फैसले के साथ उन्हें फिर से पद से हटा दिया। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसले के विरोध में वोट किया था।