हैदराबाद पुलिस ने सुलझाई 18 साल पुरानी हत्या की गुत्थी, तीन गिरफ़्तार
क्या है खबर?
हैदराबाद पुलिस ने हाल ही में एक हत्या के मामले को सुलझा लिया है, जिसे 18 वर्षों के बाद 'अनिर्धारित' घोषित किया गया।
मामले में तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है। चौथी आरोपी मसूदा बी, जिसकी पहचान पीड़ित मोहम्मद खाजा के माँ के रूप में की गई है, वह फ़रार है।
ख़बरों के अनुसार, खाजा शराब और जुए की लत का शिकार था। इसी वजह से तीनों आरोपियों के साथ मिलकर उसकी माँ ने उसके हत्या की साज़िश रची।
घटना
खाजा को परिवार के सदस्यों और दोस्तों ने मार डाला
हैदराबाद पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) अंजनी कुमार ने कहा, "विश्वसनीय जानकारी पर कमिश्नर की टास्क फ़ोर्स, साउथ जोन टीम ने साइबराबाद के मोलार्देवपल्ली पुलिस की सहायता से इस 18 वर्षीय हत्या की मामले के रहस्य का पता लगाया और तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया।"
उस समय खाजा 30 साल का था और उसकी माँ के साथ कथित रूप से एक पारिवारिक मित्र सैयद हशाम, बहनोई मोहम्मद रशीद और बशीर अहमद क़ुरैशी ने हत्या कर दी थी।
गुनाह
कसाई चाकू के साथ मिला कुरैशी, कबूला पुराना गुनाह
रविवार को जब चुनाव प्रवर्तन के मद्देनज़र पुलिस वाहनों की जाँच कर रही थी, तो उन्होंने कुरैशी को कसाई चाकू के साथ ज़ब्त कर लिया। उस समय वह नशे में था।
टास्क फोर्स ने कुरैशी से चाकू के बारे में पूछताछ की, जिस पर उसने जवाब दिया कि वह कसाई है, लेकिन लगातार पूछताछ के बाद उसने गुनाह कबूल कर लिया।
आगे की जाँच से पता चला कि खाजा, मसूदा के आठ बच्चों में से एक था।
बोझ
मसूदा पर बोझ बन गया था खाजा
पति की मृत्यु के बाद मसूदा ने अपने दूसरे बेटे खाजा को छोड़कर सभी बच्चों की शादी कर दी।
खाजा जल्दी ही मसूदा पर बोझ बन गया। यहाँ तक कि उसने अपनी माँ पर हमला करना भी शुरू कर दिया और अपने ख़र्चों को पूरा करने के लिए घर की कई चीज़ें भी बेच दी।
कुमार ने बताया "बड़ा होने के बाद भी वह ख़र्चे के लिए माँ पर निर्भर था और परिवार के अन्य सदस्यों को परेशान करता था।"
बयान
परिवार के भविष्य को लेकर असुरक्षित थी खाजा की माँ
कुमार ने आगे कहा, "मसूदा ने खाजा की वजह से परिवार के अन्य सदस्यों के भविष्य को असुरक्षित महसूस किया और उससे छुटकारा पाने का मन बना लिया। इसलिए उसने अपने चौथे और पाँचवें दामाद रशीद और कुरैशी के साथ योजना पर चर्चा की।
योजना
बेटे को मारने के लिए मसूदा ने दिए हशाम को पैसे
पुलिस के अनुसार, तीनों ने परिवार के एक दोस्त हशाम, जो पेशे से एक ऑटो चालक था, से योजना पर चर्चा की और मसूदा ने उसे कुछ पैसे भी दिए।
04 जून, 2001 की शाम को हशाम, रशीद और कुरैशी ने खाजा को ताड़ी पीने के लिए बुलाया।
कुमार ने बताया, "उसके बाद चारो हशाम के ऑटो में बैठकर बंदलागुड़ा में एक ताड़ी की दुकान पर ताड़ी पीने के लिए गए थे।"
हत्या
2001 में IPC की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया था मुकदमा
कुमार ने आगे बताया, "उनकी योजना के अनुसार तीनों आरोपियों ने खाजा को ग्रेनाइट पत्थर से माथे पर मारकर घायल किया और बाद में उसे मार डाला। इसके बाद उन्होंने जाकर मसूदा बी को खाजा के मौत की जानकारी दी।
05 जून, 2001 को भारतीय दंड सहित (IPC) की धारा 302 (हत्या के लिए सजा) के तहत साइबराबाद के रजेंद्रनगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई थी।