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    सुप्रीम कोर्ट का फैसला, उप-राज्यपाल के पास रहेगा एंटी-करप्शन ब्यूरो, केजरीवाल ने बताया संविधान के खिलाफ

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला, उप-राज्यपाल के पास रहेगा एंटी-करप्शन ब्यूरो, केजरीवाल ने बताया संविधान के खिलाफ

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 14, 2019
    02:33 pm

    क्या है खबर?

    दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

    दिल्ली सरकार को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े सभी अधिकार उप-राज्यपाल के पास रहेंगे।

    हालांकि, यह मामला पूरी तरह सुलझा नहीं है। कुछ मुद्दों को लेकर मामले की सुनवाई कर रहे जजों के बीच मतभेद था।

    इसलिए इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है।

    फैसला

    क्या रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

    जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

    बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB), जांच आयोग और कानून-व्यवस्था पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होगा।

    वहीं बिजली और जमीन के सर्किल रेट पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा।

    अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दोनों जजों में मतभेद था, जिसके बाद अब मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा गया है।

    ट्विटर पोस्ट

    जांच आयोग का गठन करने की शक्ति केंद्र के पास

    Supreme Court refers the issue to a larger bench to decide whether the Delhi government or Lieutenant Governor should have jurisdiction over ‘Services’ in Delhi. pic.twitter.com/SwgYzT6c5N

    — ANI (@ANI) February 14, 2019

    फैसले के खिलाफ अपील

    हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी दिल्ली सरकार

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 अगस्त, 2016 को दिए अपने फैसले में उप-राज्यपाल को दिल्ली का बॉस बताया था।

    कोर्ट ने कहा था कि उप-राज्यपाल दिल्ली के प्राशसनिक मुखिया हैं और दिल्ली सरकार उनकी मर्जी के खिलाफ कानून नहीं बना सकती।

    कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली सरकार को कोई भी नोटिफिकेशन जारी करने से पहले उप-राज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।

    दिल्ली सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

    मामला

    सुप्रीम कोर्ट में लंबित था मामला

    पिछले कुछ महीनों से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

    इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्द फैसला सुनाने की मांग की थी।

    बता दें, दिल्ली में प्रशासन को लेकर केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार में लगातार खींचतान रहती है।

    केजरीवाल सरकार ने कई बार केंद्र सरकार पर काम में दखल देने का आरोप लगाया है।

    केजरीवाल का बयान

    फैसला संविधान के खिलाफ- केजरीवाल

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केजरीवाल ने इस फैसले को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह फैसला दिल्ली की जनता के खिलाफ है।

    उन्होंने कहा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री एक चपरासी को भी ट्रांसफर नहीं कर सकता। अगर मुख्यमंत्री के पास एक चपरासी तक को ट्रांसफर करने की ताकत नही है तो मुख्यमंत्री कैसे काम करेगा?

    केजरीवाल ने कहा कि 40 सालों से ACB दिल्ली सरकार के पास थी, लेकिन अब नहीं है।

    ट्विटर पोस्ट

    अगर मंत्रियों को अनशन करना पड़ा तो कैसे चलेगी सरकार- केजरीवाल

    अगर एक फ़ाइल क्लियर करने के लिए LG के घर जा कर 10 दिन का अनशन करना पड़े तो ऐसे सरकार कैसे चलेगी? दिल्ली का विकास कैसे होगा? : @ArvindKejriwal #DelhiVsCenter pic.twitter.com/alNhrUyEoK

    — AAP (@AamAadmiParty) February 14, 2019

    भाजपा का आरोप

    केजरीवाल ने की सुप्रीम कोर्ट की अवमानना- भाजपा

    केजरीवाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान के खिलाफ बताने वाले बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

    भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल ने कोर्ट की अवमानना की है।

    उन्होंने कहा कि वे इस मामले में केजरीवाल के खिलाफ अवमानना का केस दायर करने पर विचार कर रहे हैं।

    पात्रा ने कहा कि केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। उन्हें दोबारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोर्ट से माफी मांगनी चाहिए।

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