पहली बार कब लगा था 'जनता कर्फ्यू', जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने किया ऐलान?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई की तैयारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक 'जनता कर्फ्यू' का ऐलान किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इसे जनता द्वारा, जनता के लिए खुद पर लगाया गया कर्फ्यू बताया गया है।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात के निर्माण में 'जनता कर्फ्यू' का अहम योगदान रहा था। इसका पूरा इतिहास क्या है, आइए आपको बताते हैं।
इतिहास
इंदुलाल याग्निक ने किया था पहली बार 'जनता कर्फ्यू' का इस्तेमाल
गुजरात राज्य के निर्माण के अहम सूत्रधार इंदुलाल याग्निक ने 1950 के दशक में 'जनता कर्फ्यू' का पहली बार इस्तेमाल किया था। लोग उन्हें प्यार से 'इंदु चाचा' भी बुलाते थे।
दरअसल, आजादी के समय गुजरात बॉम्बे राज्य के अंतर्गत आता था और अलग से राज्य नहीं था। इस बीच धीरे-धीरे गुजराती भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग उठने लगी। इस आंदोलन को 'महागुजरात आंदोलन' के नाम से जाना जाता है।
घटनाक्रम
अलग राज्य की मांग कर रहे छात्रों पर चलाई पुलिस ने गोली
अलग गुजरात की मांग को जोर-शोर से उठाने के लिए 1956 में इंदुलाल ने महागुजरात जनता परिषद (MGJP) नामक संगठन का ऐलान किया।
इस समय मोरारजी देसाई बॉम्बे के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने आंदोलन को दबाने की पूरी कोशिश की। पुलिस ने अपनी कार्रवाई के दौरान छात्रों पर गोली तक चला दी और इससे कई छात्रों की मौत हुई।
इस घटना के बाद महागुजरात आंदोलन खत्म होने की बजाय और तेज हो गया।
जनता कर्फ्यू
मोरारजी उपवास पर बैठे तो इंदुलाला ने लगाया 'जनता कर्फ्यू'
इस बीच आंदोलन की काट के लिए मोरारजी देसाई ने अहमदाबाद के 'लाल दरवाजा' पर उपवास पर बैठने का ऐलान किया। उनके इस ऐलान के बाद हिंसा बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी और इसी की काट के लिए इंदुलाला ने 'जनता कर्फ्यू' का ऐलान किया।
उन्होंने अहमदाबाद के लोगों से उपवास वाले दिन घर पर ही रहने को कहा ताकि पुलिस से किसी भी तरह का टकराव टाला जा सके।
सफलता
बेहद सफल रहा 'जनता कर्फ्यू'
इंदुलाल का ये 'जनता कर्फ्यू' बेहद सफल रहा और लोग अपने घरों के अंदर ही रहे। अगले दिन जब अखबारों में इसकी तस्वीरें छपी तो पूरा गुजरात स्तब्ध रह गया। मोरारजी को अपने उपवास को खत्म करना पड़ा।
इसके बाद इंदुलाल ने 'जनता कर्फ्यू' जैसे कई अहिंसक तरीकों का प्रयोग कर केंद्र और बॉम्बे सरकार को घुटने पर ला दिया।
आखिरकार 1 मई, 1960 को गुजराती भाषियों के लिए गुजरात का जन्म हुआ। मराठी भाषियों के लिए महाराष्ट्र बनाया गया।
जीवन
अपनी सारी संपत्ति गुजरात सरकार को दे गए थे इंदुलाल
22 फरवरी, 1892 को गुजरात के खेडा जिले में जन्मे इंदुलाल अपना जीवन बेहद साधा तरीके से बिताते थे और अपनी वसीयत में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति गुजरात सरकार के नाम कर दी थी।
वे महात्मा गांधी के भी करीबी रहे थे और उनके 'नवजीवन' और 'हरिजन' अखबार का कामकाज संभाला था।
वे हमेशा अपने पास मूंगफली रखते थे और जिससे भी मिलते उसके हाथ में कुछ मूंगफली पकड़ा देते।
17 जुलाई, 1972 को उनका निधन हुआ था।