बिना पासपोर्ट करतारपुर जा सकेंगे भारतीय श्रद्धालु, प्रस्ताव पर हो रहा विचार
करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही वो बिना पासपोर्ट के भी करतारपुर साहिब जाकर मत्था टेक सकेंगे। पाकिस्तान के गृह मंत्री इलाज शाह ने देश की संसद को बताया कि सरकार उस प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें भारतीय श्रद्धालुओं को बिना पासपोर्ट करतारपुर आने की इजाजत देने का प्रावधान है। पाकिस्तानी सरकार अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाने जा रही है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
पिछले साल हुआ था कॉरिडोर का उद्घाटन
पिछले साल नवंबर में भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान की तरफ से इमरान खान ने इस कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। 4.5 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर पाकिस्तान के नरोवाल स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ने के लिए बनाया गया है। इस कॉरिडोर का उद्घाटन ऐसे मौके पर हुआ था, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कई मामलों को लेकर तनाव चरम सीमा पर था।
ज्यादा श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए योजना पर विचार
शाह ने बताया कि अभी भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत पासपोर्ट के बिना कॉरिडोर में प्रवेश की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए बिना पासपोर्ट प्रवेश के लिए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इस संबंध में विदेश मंत्रालय से जानकारी मांगी गई है। कॉरिडोर से जाने वाले श्रद्धालु केवल करतारपुर साहिब ही जा सकते हैं, उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं होती।
पहले भी कही गई थी बिना पासपोर्ट प्रवेश की बात
पाकिस्तान ने कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले भी बिना पासपोर्ट के प्रवेश की बात कही थी। इमरान खान ने इसे लेकर ट्वीट भी किया था, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि बिना पासपोर्ट किसी श्रद्धालु को पाकिस्तान में नहीं आने दिया जाएगा।
रोजाना 5,000 श्रद्धालु जा सकते हैं करतारपुर
पाकिस्तानी मंत्री ने बताया कि भारतीय श्रद्धालु पासपोर्ट दिखाकर और भारतीय मूल के विदेशी नागरिक इंडियन-ओरिजन कार्ड और संबंधित देश का पासपोर्ट दिखाकर करतारपुर जा सकते हैं। गौरतलब है कि रोजाना 5,000 लोग इस कॉरिडोर के जरिए दर्शन के लिए पाकिस्तान के नरोवल जिला स्थित करतारपुर जा सकते हैं। सुबह जाने वाले यात्रियों को शाम को वापस लौटना होता है। पाकिस्तान इस कॉरिडोर से भारत से आने वाले हर श्रद्धालु से 20 डॉलर (लगभग 1,400 रुपये) फीस लेता है।
क्यों खास है करतारपुर साहिब?
सिख धर्म मानने वाले लोगों के लिए करतारपुर साहिब बेहद खास है। माना जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव 1522 में करतारपुर आए थे। उनकी जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजरे थे। कहा जाता है कि करतारपुर में जिस जगह पर गुरु नानक देव की मौत हुई थी, वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था। पाकिस्तान में मौजूद करतारपुर भारत से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।