सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसालः बीमार मुस्लिम ड्राइवर की जगह हिंदू अधिकारी रख रहा रोजा
महाराष्ट्र के बुलढ़ाना में एक वन अधिकारी सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश कर रहे हैं। यहां के संभागीय वन अधिकारी संजय एन माली अपने ड्राइवर की जगह रोजे रख रहे हैं। धर्म की जगह मानवता को आगे रखते हुए संजय 6 मई से रोजे रख रहे हैं। उनका ड्राइवर जफर अपनी सेहत की वजह से रोजे नहीं रख पा रहा था। जब संजय को यह बात पता चला तो उन्होंने खुद रोजे रखने का फैसला किया।
सेहत के कारण रोजे नहीं रख पा रहा था ड्राइवर
संजय ने बताया, "मैंने 6 मई को अपने ड्राइवर से पूछा कि क्या वह रोजे रखेगा। इस पर ड्राइवर ने कहा कि सेहत की वजह से वह रोजे नहीं रख पाएंगे। इसलिए मैंने उनसे कहा कि उनकी जगह में रोजे रखूंगा।" संजय ने बताया कि वह सुबह चार बजे उठकर कुछ खाते हैं और शाम सात बजे के बाद अपना रोजा खोलते हैं। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए हर इंसान को कुछ न कुछ करना चाहिए।
हिंदू अधिकारी रख रहा रोजा
"हर धर्म सीखाता है अच्छी बातें"
संजय ने बताया, "मेरा मानना है कि हर धर्म कुछ अच्छी बातें बताता है। हमें सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखना चाहिए। हमें मानवता को पहले देखना चाहिए और उसके बाद धर्म आता है। रोजा रखकर मैं ताजा महसूस करता हूं।"
जून के पहले सप्ताह में है ईद
रोजे के दौरान सुबह सूरज उगने से पहले खाना खाया जाता है, जिसे सेहरी कहते हैं। इसके बाद पूरे दिन रोजेदार (रोजे रखने वाले) कुछ नहीं खाते हैं। शाम को सूरज ढलने के बाद रोजे को खोला जाता है। तब रोजेदार इकट्ठा होते हैं और भोजन करते हैं। इसे इफ्तार कहा जाता है। इस साल जून के पहले सप्ताह में ईद है। यह रमजान के महीने के खत्म होने के बाद आती है।
हिंदू-मुस्लिम परिवार ने एक-दूसरे को दी किडनी
पंजाब के मोहाली से विविधता में एकता की बात साबित करने वाला एक मामला सामने आया है। यहां के एक अस्पताल में बिहार के रहने वाले एक हिंदू दंपत्ति ने कश्मीर के मुस्लिम दंपत्ति के साथ अपनी किडनी बदली है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों परिवार स्वस्थ जिंदगी बिता रहे हैं। धर्म के आधार पर भेदभाव की बात करने वाले लोगों के लिए यह मामला एक मिसाल है।
इंटरनेट के जरिए मिले दोनों परिवार
बिहार के रहने वाली सुजीत कुमार की पत्नी की किडनी खराब थी। वहीं कश्मीर के रहने वाले अब्दुल अजीज की किडनी में खराबी थी। दोनों परिवारों ने iKidney ऐप पर अपनी जरूरतें डाली हुई थीं, जहां पर उनके बीच संपर्क हुआ। इसके बाद सुजीत कुमार ने अपनी किडनी अब्दुल को दी और अब्दुल की पत्नी शाजिया ने अपनी किडनी सुजीत की पत्नी मंजुला को दी। इस ऑपरेशन पर हर दंपत्ति का छह लाख रुपये खर्च आया है।