शहीद नजीर वानी को मिलेगा अशोक चक्र, आतंकवाद छोड़ सेना में हुए थे शामिल
पिछले साल नवंबर में देश पर जान न्यौछावर करने वाले लांस नायक नजीर वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र पुरस्कार से नवाजा जाएगा। नजीर एक समय आतंक की राह पर निकल गए थे, लेकिन फिर उन्होंने ये रास्ता त्याग दिया। इसके बाद उन्होंने सेना में शामिल हो देश सेवा की ठान ली। वह शोपियां में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। नजीर की बहादुरी के लिए उन्हें इससे पहले दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है।
'बहादुर जवान थे नजीर'
देश के इतिहास में ये पहला मौका है जब आतंक की राह से वापस लौटे एक सैनिक को इतने बड़े पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "नजीर वानी एक बहादुर सैनिक थे और उन्होंने हमेशा चुनौतीपूर्ण मिशनों में साहस दिखाया।" आतंकवादी रहे नजीर ने 2004 में यह राह त्याग कर आत्मसमर्पण कर दिया था। पिछले साल आतंकियों से लोहा लेते हुए वो शहीद हो गए।
नवंबर 2018 में शहीद हुए थे नजीर
पिछले साल नवंबर में सेना को शोपियां में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी। जवानों ने उस घर को चारों ओर से घेर कर हमला किया था जिसमें 6 आतंकियों ने शरण ले रखी थी। इस हमले में नजीर ने एक आतंकी को मार गिराया लेकिन वह खुद भी घायल हो गए। घायल होने के बावजूद भी वह आतंकियों के भागने के रास्ते पर डटे रहे और एक और आतंकी को मार गिराया।
कश्मीर युवाओं के लिए प्रेरणा बने नजीर
ऑपरेशन के दौरान नजीर खुद भी शहीद हो गए थे। उनकी इसी बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित करने का फैसला लिया गया है। नजीर के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। वह कुलगाम के चेकी अश्मूजी गांव के रहने वाले थे। 2007 में उन्हें पहली बार और 2017 में दूसरी बार सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। नजीर की जिंदगी कश्मीर के संघर्ष में रास्ता भटक जाने वाले युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।