फिर रोकी गई शाह के हेलीकॉप्टर की लैंडिंग, आखिर भाजपा से क्यों डर रही हैं ममता?
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हेलीकॉप्टर को उतरने की इजाजत नहीं मिली है।
बंगाल की राजनीतिक यात्रा पर निकले शाह को आज झारग्राम में रैली करनी थी, लेकिन जिलाधिकारी ने उनके हेलीकॉप्टर को उतरने की अनुमति नहीं दी।
इसके बाद बंगाल की राजनीति में तेजी से अपनी जगह बना रही भाजपा को अपनी रैली को रद्द करना पड़ा।
इससे पहले मालदा में भी शाह के हेलीकॉप्टर को उतरने की इजाजत नहीं मिली थी।
प्रदर्शन
डीएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करेगी भाजपा
इजाजत नहीं मिलने पर भाजपा डीएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करेगी। महिला जिलाधिकारी होने के कारण पार्टी ने महिला मोर्चा को आगे किया है।
बता दें कि मालदा में हेलीकॉप्टर उतरने की इजाजत नहीं मिलने पर शाह का हेलीकॉप्टर एक निजी होटल के ग्राउंड में उतारा गया था।
इसके बाद रैली में शाह ने ममता बनर्जी को बंगाल से उखाड़ फेंकने की चुनौती दी थी। उन्होंने ममता सरकार को निकम्मी बताते हुए भाजपा को मौका देने की अपील की थी।
डर की वजह
आखिर क्यों डर रही हैं ममता?
असली सवाल ये है कि बंगाल की सबसे बड़ी नेता और विरोधियों से मीलों आगे ममता अपने ही गढ़ में भाजपा से इतना क्यों डर रही हैं?
दरअसल, बंगाल की राजनीतिक जमीन में इस समय वो 'खाद' मौजूद है जो भाजपा को जड़े फैलाने में मदद कर सकता है।
राज्य की 28 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या को साधने की कोशिश में ममता की छवि 'मुस्लिम तुष्टिकरण' करने वाले नेता की बनी है। जो भाजपा के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है।
घुसपैठ
बांग्लादेशियों घुसपैठियों का मुद्दा
राज्य में बांग्लादेश से आए 'घुसपैठियों' का मुद्दा भी बड़ा है।
भाजपा ने इसी मुद्दे को असम जैसे राज्यों में खूब भुनाया था।
पंचायत चुनाव में भी ऐसे इलाकों में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा था, जहां स्थानीय जनसंख्या बांग्लादेश से आए लोगों को 'घुसपैठियों' की नजर से देखते हैं।
ममता को डर है कि भाजपा बंगाल में भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) जैसा पासा फेंक कर लोगों को लुभा सकती है।
हिंसक राजनीति
ममता राज में कम नहीं हुई बम-बंदूक की राजनीति
वामपंथी सरकार की विरोधियों के खिलाफ हिंसा और बम-बंदूक की जिस राजनीति को आधार बना कर ममता सरकार में आई थीं, उनके राज में भी वह कम नहीं हुआ है।
भाजपा के विस्तार की संभावनाओं के बाद तो यह हिंसा और बढ़ी है।
राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता जमीन पर हैं और हिंसा की यह राजनीति भाजपा के लिए मनमाफिक है।
भाजपा राज्य में 'हिंदुओं के खात्मे' के डर का भी चुनावी फायदा उठाना चाहती है।
थर्ड फ्रंट
प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी चाहती हैं ममता
भाजपा के खिलाफ ममता के इस अति-आक्रामक रैवेये का सबसे बड़ा कारण उनकी खुद की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं जो हाल ही में हुई विपक्ष की रैली में देखने को मिली थी।
ममता राज्य में बड़ी जीत हासिल कर थर्ड फ्रंट के नेता और प्रधानमंत्री पद पर अपना दावा मजबूत करना चाहती हैं।
राज्य में भाजपा का थोड़ा सा भी विस्तार उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करेगा और उनकी प्रधानमंत्री पद की संभावित दावेदारी पर पानी फेर देगा।