किसान आंदोलन: ठंड के चलते गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान की मौत
क्या है खबर?
कृषि कानूनों को निरस्त कराने सहित अन्य मांगों को लेकर 38 दिनों दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को अब सरकार के साथ कड़ाके की ठंड से भी मुकाबला करना पड़ रहा है।
कड़ाके की ठंड के बाद भी किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं, लेकिन कुछ किसानों के लिए यह ठंड मौत का फरमान लेकर आई है।
यही कारण है कि शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर ठंड के कारण एक किसान की मौत हो गई।
बेबस
ठंड के आगे बेबस हो रहे किसान
किसान भले ही सरकार से एकजुट होकर मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन कड़ाके की ठंड के आगे वह बेबस नजर आ रहे हैं।
दिल्ली में नए साल के पहले दिन 15 सालों का सबसे कम 1.1 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।
ऐसे में गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 38 दिनों से प्रदर्शन कर रहे मोजिदबाद गांव निवासी करीब 70 वर्षीय किसान गलतान सिंह तोमर की मौत हो गई। किसान की मौत से अन्य किसानों में शोक की लहर छाई हुई है।
कारण
तेज ठंड को बताया जा रहा है मौत का कारण
गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने बताया कि सुबह गलतान सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई।
चिकित्सकों ने बताया कि प्राथमिक जांच के आधार पर उसकी मौत तेज ठंड के कारण हुई है।
दरअसल, बॉर्डर पर किसानों के लिए वैसे तो पूरी व्यवस्थाएं की गई है, लेकिन फिर भी ठंड से बचने के पर्याप्त उपाय नहीं हो रहे हैं। ऐसे में उम्रदराज किसान ठंड के आगे घुटने टेक रहे हैं।
मुद्दा
क्या है किसानों के विरोध का कारण?
सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले तीन महीनों से विरोध कर रहे किसानों ने गत 25 नवंबर से अपने आंदोलन को तेज कर दिया था।
उन्होंने सरकार के खिलाफ 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था। किसानों को डर है कि APMC मंडियों के बाहर व्यापार की अनुमति देने वाले कानून मंडियों को कमजोर कर देंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिलेगा। इसके चलते कॉरपोरेट जगत किसानों का शोषण करेगा।
आंदोलन
25 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं किसान
गत 25 नवंबर को दिल्ली कूच कर रहे किसानों को पुलिस ने बॉर्डर पर रोक दिया था। गृहमंत्री ने किसानों को बुराड़ी जाने पर वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसानों ने उसे ठुकरा दिया।
उसके बाद से ही किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है। इस दौरान कई विपक्षी राजनीतिक दलों सहित ट्रेन यूनियन और संगठनों ने भी किसानों का समर्थन कर दिया। ऐसे में किसान अपनी मांगों को लेकर सीमाओं पर मोर्चा जमाए बैठे हैं।
सहमति
किसानों और सरकार के बीच दो मुद्दों पर बन चुकी सहमति
किसानों और सरकार के बीच अब तक सात दो की वार्ता हो चुकी है। इनमें से छह दौर की वार्ता में कोई हल नहीं निकला था, लेकिन गत बुधवार को हुई सातवें दौर की वार्ता में सरकार और किसानों के बीच पर्यावरण से संबंधित कानून और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट पर सहमति बन गई।
ऐसे में दो अन्य मुद्दों पर 4 जनवरी को चर्चा होगी, लेकिन किसानों का कहना है कि वह कानूनों को रद्द कराए बिना अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
मौत
25 नवंबर के बाद अब तक हुई 20 किसानों की मौत
इंडिया टुडे के अनुसार 25 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अब तक विभिन्न हादसों में करीब 20 किसानों की मौत हो चुकी है।
गत दिनों सिंघु बॉर्डर पर एक 38 वर्षीय किसान भीम सिंह की भी कड़ाके की ठंड के कारण मौत हो गई थी।
एक अन्य किसान जयसिंह की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। किसानों की लगातार होती मौतों के बाद भी अन्य किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं।