किसानों की चेतावनी- इस बार बातचीत असफल होने पर बंद करेंगे पेट्रोल पंप, आंदोलन होगा तेज
सरकार के साथ 4 जनवरी को होने वाली बैठक से पहले प्रदर्शनकारी किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर इस बार उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वो पूरे हरियाणा में पेट्रोल पंप और शॉपिंग मॉल्स बंद करवाना शुरू कर देंगे। किसान नेता 4 जनवरी को होने वाली बैठक में तीनों नए कृषि कानून रद्द करवाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी के कानून की मांग के साथ बैठक में भाग लेने जाएंगे।
पिछले बैठक में दो मांगों पर बनी सहमति, लेकिन गतिरोध बरकरार
बीते 30 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों की छठे दौर की औपचारिक बातचीत हुई थी। इसमें सरकार हवा की गुणवत्ता से संबंधित अध्यादेश और बिजली को लेकर आने वाले अध्यादेश से किसानों को दूर रखने पर सहमत हो गई है, लेकिन कानून रद्द करने और MSP पर खरीद की गारंटी के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई। 4 जनवरी को फिर इन पर चर्चा होगी।
आंदोलन तेज करने की योजना बना रहे किसान
शुक्रवार शाम सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि अभी तक सरकार के साथ हुई उनकी बैठकों में उनके द्वारा उठाए मुद्दों में केवल पांच प्रतिशत पर बातचीत हई है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती हैं तो वो आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तेज करेंगे। वार्ता असफल रहने पर किसान नेताओं ने देशभर में 6-20 जनवरी तक जागृति अभियान चलाने की बात कही है।
शाहीन बाग की तरह आंदोलन खत्म नहीं करवा सकती सरकार- किसान नेता
किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों को हल्के में ले रही है। किसानों का धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। अगर केंद्र सरकार सोचती है कि इस आंदोलन को भी शाहीन बाग के प्रदर्शन की तरह खत्म कर दिया जाएगा तो यह उसकी गलतफहमी है। वो किसानों से यह जगह खाली नहीं करवा सकते। उन्होंने आगे कहा कि किसान कानूनों को वापस लिए जाने की अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
6 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे किसान
शुक्रवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में वार्ता असफल रहने की सूरत में आगे की रणनीति पर विचार किया गया। बैठक में फैसला लिया गया है कि अगर बातचीत असफल रहती है तो किसान 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। अगले हफ्ते हरियाणा-राजस्थान की शाहजाहंपुर बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली की तरफ बुलाने की तारीख का ऐलान किया जाएगा। इसके अलावा भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेताओं का विरोध जारी रहेगा।
क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।